Tuesday, 7 July 2009

सीओएम के साथ बदसलूकी करने वाले

महाप्रबंधक को बर्खास्त करो:जे.पी.सिंह


गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबंधक (सीओएम) श्री वी. के. तिवारी (पीएचओडी) का चेंबर आरपीएफ से सील करवा देने और उनके आवासीय टेलीफोन कटवा देने जैसी अशोभनीय हरकत तथा बदसलूकी करने वाले महाप्रबंधक श्री यू.सी.डी. श्रेणी को तुरंत बर्खास्त किए जाने की मांग इंडियन रेलवे प्रमोटी ऑफीसर्स फेडरेशन (आईआरपीओएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे.पी. ङ्क्षसह ने 15 जून को रेलमंत्री ममता बनर्जी को भेजे गए एक पत्र में की है.


ज्ञातव्य है कि श्री तिवारी का तबादला पूर्वोत्तर रेलवे के सीओएम पद से पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य संरक्षाधिकारी (सीएसओ) के पद पर हो गया था. सूत्रों का कहना है कि महाप्रबंधक की अपने इस ईमानदार सीओएम से काफी समय से पट नहीं रही थी. इसलिए वह उन्हें अन्यत्र शिफ्ट किए जाने का दबाव रेलवे बोर्ड पर लंबे अर्से से डाल रहे थे. अंतत: वह अपने कैडर बिरादरी सीआरबी के माध्यम से सीओएम को शिफ्ट कराने में कामयाब तो हो गए, परंतु सूत्रों का कहना है कि 12 जून को जब श्री तिवारी बिना चार्ज दिए ही शाम करीब 6.30 बजे घर चले गए तो महाप्रबंधक श्री श्रेणी को लगा कि श्री तिवारी कहीं अपना तबादला रद्द न करा लें अथवा लंबी छुट्टïी पर न चले जाएं, इसलिए उन्होंने उनके घर जाते ही आरपीएफ को भेजकर पहले उनका चेंबर सील करा दिया और साथ एस एंड टी अफसरों को कहकर उनके आवास के सभी टेलीफोन डिस्कनेक्ट करा दिए.


एक पीएचओडी और ईमानदार अधिकारी के साथ महाप्रबंधक की इस तरह की बदसलूकी और बदतमीजी तथा महाप्रबंधक पद की गरिमा को निम्न स्तर पर गिराने वाली इस अत्यंत गिरी हुई हरकत की खबर पलक झपकते ही पूरी भारतीय रेल के आईआरटीएस अफसरों तक पहुंच गई. इसी दरम्यान इसकी भनक रेलवे बोर्ड में ही उपस्थित 'रेलवे समाचारÓ के इस प्रतिनिधि को भी लगी. तत्पश्चात इस विषय में जवाब तलब करने के लिए महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे श्री श्रेणी को कई बार उनके दोनों मोबाइलों पर फोन किया गया. जिन्हें पहले तो उन्होंने रिसीव नहीं किया. एक बार रिसीव किया तो परिचय बताते ही उन्होंने मोबाइल डिस्कनेक्ट कर दिया. तत्पश्चात इस बारे में एसएमएस भेजकर उनसे यह पूछा गया कि सीओएम के साथ उनका क्या मामला हुआ है, उन्होंने सीओएम का चेंबर क्यों लॉक करवा दिया है? इसका भी उन्होंने कोई जवाब देना जरूरी नहीं समझा.


बहरहाल 'रेलवे समाचार' द्वारा लगातार मोबाइल पर पूछे गए सवालों और स्थानीय मीडिया को भी उनकी इस बदसलूकी की खबर दे दिए जाने के कारण महाप्रबंधक ने करीब रात 9.30 बजे सीओएम के चेंबर की सील खुलवा दी. परंतु दूसरे दिन गोरखपुर और लखनऊ के दैनिक अखबारों में जब उनकी इस बदतमीजी की खबर प्रमुखता से प्रकाशित हो गई तो रेलवे बोर्ड सहित पूरी भा.रे. में हड़कंप मच गया. इससे परेशान होकर बताते हैं कि महाप्रबंधक ने सीपीआरओ को स्थानीय अखबारों के दफ्तरों में भेजकर उक्त खबर का खंडन भी करवाने की कोशिश की. बताते हैं कि इस खबर के प्रकाशित हो जाने से वह सीपीआरओ पर भी बुरी तरह से बरसे और खफा हुए. इस पर एक अधिकारी का कहना था कि बदतमीजी खुद की और भंडाफोड़ हो जाने पर उसका गुस्सा सीपीआरओ पर उतारा. इसी को कहते हैं 'खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे'.


इस मामले में ग्रुप 'ए' डायरेक्ट अधिकारियों की फेडरेशन 'एफआरओए' को पीछे छोड़ते हुए आईआरपीओएफ ने पहल की और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे.पी. सिंह, डिप्टी सीसीएम/क्लेम्स, पू.म.रे., पटना, ने रेलमंत्री सुश्री ममता बनर्जी को एक लिखित पत्र भेजकर महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे श्री यू.सी.डी. श्रेणी को बर्खास्त करने तथा सीओएम श्री वी. के. तिवारी का तबादला रद्द किए जाने की मांग कर दी. श्री जे.पी. सिंह के इस पत्र से और ज्यादा हड़कंप मच गया. श्री सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि 'सीओएम/पूर्वोत्तर रेलवे के पद पर कार्यरत श्री वी. के. तिवारी का स्थानांतरण रे.बो. के आदेश से पू.म.रे. के सीएसओ पद पर हाजीपुर किया गया है. महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा तत्काल प्रभाव से दि. 10.06.09 को उन्हें रिलीव करने का आदेश जारी किया गया था. परंतु सदस्य यातायात (एम.टी.) रेलवे बोर्ड के मौखिक आदेशानुसार जब तक नए सीओएम की पोस्टिंग का आदेश नहीं होता, तब तक श्री तिवारी सीओएम का कार्य गोरखपुर में देखेंगे.'


पत्र में आगे लिखा गया है कि दि. 12.6.09 को जब श्री तिवारी अपने कार्यालय कक्ष से शाम को निकले तो महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे के निर्देश पर उनके कार्यालय कक्ष को सील करा दिया गया. साथ ही उनके आवास के सभी टेलीफोन कनेक्शन भी काट दिए गए. श्री सिंह ने पत्र में यह भी लिखा है कि 'श्री वी. के. तिवारी एक बहुत ही सीनियर आईआरटीएस अधिकारी होने के साथ ही एक अत्यंत ईमानदार और रेल सेवा के प्रति पूरी तरह समर्पित अधिकारी हैं. ऐसे कर्मठ और ईमानदार एवं रेलसेवा को समर्पित एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा अपमानजनक व्यवहार किया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.'

अपने इस पत्र में श्री जे.पी. सिंह ने रेलमंत्री से अनुरोध किया है कि 'उपरोक्त तथ्यों की जांच मंत्री महोदया द्वारा अपने स्तर पर करवाकर सर्वप्रथम श्री वी. के. तिवारी का स्थानांतरण तुरंत निरस्त किया जाए और तत्पश्चात ऐसे महाप्रबंधक को रेल सेवा से अविलंब बर्खास्त किया जाए जो कि एक ईमानदार और कर्मठ तथा रेल सेवा के प्रति पूरी तरह समर्पित अधिकारी के साथ न सिर्फ अपमानजनक व्यवहार करने के लिए बल्कि महाप्रबंधक पद की गरिमा को भी नष्ट करने के लिए सर्वथा जिम्मेदार है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो...!' उन्होंने इस पत्र की प्रतियां सीआरबी और एमटी को भी भेजी हैं. इसकी एक प्रति 'रेलवे समाचार' के पास सुरक्षित है.


परंतु इस मामले में सबसे ज्यादा अकर्मण्य भूमिका एमटी और आईआरटीएस कैडर एसोसिएशन की रही है. क्योंकि कैडर की भावना को ताक पर रखते हुए एमटी ने श्री तिवारी का रिप्लेसमेंट भेजकर 15-16 जून को ही उन्हें गोरखपुर से रिलीव करा दिया. जबकि आईआरटीएस कैडर एसोसिएशन ने कहीं कोई आवाज भी नहीं उठाई. इसके अलावा विडंबना यह है कि सीएफटीएम/पूर्वोत्तर रेलवे श्री आर. वी. सिंह, जो कि स्वयं एक रीढ़हीन आईआरटीएस अधिकारी हैं, तो 12 जून को महाप्रबंधक का आदेश बजाने अथवा उनकी चापलूसी के लिए गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती अपनी बच्ची को छोड़कर और छुट्टïी पर होते हुए भी श्री तिवारी से चार्ज लेने दौड़े-दौड़े उनके कार्यालय पहुंचे थे. हालांकि सूत्रों का कहना है कि श्री तिवारी उन्हें चार्ज देने ही जा रहे थे कि उन्होंने सोचा कि पहले इस बारे में एमटी को बता दिया जाए.


बताते हैं कि एमटी ने उनसे कहा कि अभी चार्ज न दें. सोमवार (शनिवार-रविवार को छुट्टï होने से) को जब उनका प्रॉपर रिप्लेसमेंट वह भेजेंगे, तब उसी को चार्ज सौंपें. इसी के बाद अपनी बच्ची को गंभीर हालत में अस्पताल में छोड़कर और छुट्टïी पर होते हुए भी वहां चार्ज लेने पहुंचे सीएफटीएम श्री आर. वी. सिंह को चार्ज सौंपे बगैर ही श्री तिवारी घर चले गए थे. जिस पर महाप्रबंधक श्री श्रेणी को यह गलतफहमी हो गई कि श्री तिवारी अपना ट्रांसफर रद्द न करा लें अथवा छुट्टïी पर न चले जाएं. जबकि श्री तिवारी को नजदीक से जानने वाले अधिकारियों का मानना है कि श्री तिवारी का आज तक यह रिकार्ड रहा है कि वह इससे पहले भी कभी ऐसी कोई कोशिशें नहीं की थीं. उन्हें द.पू.रे. कोलकाता भेजा गया था, तब भी नहीं. इस बार भी वह ऐसी कोई कोशिश नहीं करने जा रहे थे. अधिकारियों का कहना था कि श्री तिवारी उन अधिकारियों में हैं जो ट्रांसफर होने पर चार्ज छोडऩे में एक पल की भी देर नहीं करते हैं.


सूत्रों का कहना है कि श्री तिवारी जैसे ईमानदार और कर्मठ एवं रेल सेवा के प्रति समर्पित अधिकारी से इन सब चीजों से सर्वथा वंचित महाप्रबंधक की पटरी काफी समय से नहीं बैठ रही थी क्योंकि श्री तिवारी महाप्रबंधक के कोल लोडिंग को परमिट करने तथा आउट ऑफ टर्न रेक एलॉटमेंट जैसे अनर्गल और अलिखित आदेशों पर अमल करने में कठिनाई महसूस करते थे. इसीलिए महाप्रबंधक उनसे काफी अर्से से नाराज चल रहे थे और उन्हें गोरखपुर से शिफ्ट करने के लिए रे.बो. पर दबाव डाल रहे थे.


उल्लेखनीय है कि इससे पहले श्री श्रेणी ने विभिन्न जगहों पर पोस्टिंग के दौरान स्टाफ और मातहतों के साथ गाली-गलौज करने के लिए उनसे माफी मांग चुके हैं. सीएलडब्ल्यू में बतौर भ्रष्ट सीईई आरपीएफ को गरियाने पर आरपीएफ वालों ने इन्हें इन्हीं के चेंबर में इन्हीं की टेबल पर इनका कॉलर पकड़कर खड़ा करके हाथ जोड़कर माफी मंगवाई थी. इसी तरह हुबली में डीआरएम रहने पर इन्होंने कई बार अपने दुव्र्यवहार के लिए अपने मातहतों से माफी मांगी थी.

अब देखें आगे श्री जे.पी. सिंह की मांग पर रेलमंत्री सुश्री ममता बनर्जी, जो खुद इस तरह की बदसलूकी के सख्त खिलाफ हैं, रेल बजट के बाद क्या कदम उठाती हैं. क्योंकि श्री श्रेणी वर्तमान एमएल के 31 जुलाई को रिटायरमेंट के बाद अगले एमएल बनने के मजबूत दावेदार हैं, जबकि इस वर्तमान पद के साथ-साथ वह एमएल पद के लिए भी योग्य नहीं हैं. इस पर भी सीआरबी और सेक्रेटरी/रे.बो. को बदलने का विचार व्यक्त कर चुकी रेलमंत्री सुश्री ममता बनर्जी के निर्णय का इंतजार सभी रेल अधिकारियों को है.

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