Thursday 9 July, 2009

सेवा में,
आदरणीया सुश्री ममता बनर्जी
मा. रेलमंत्री, भारत सरकार,
रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड)
रेल भवन, नयी दिल्ली-1.


विषय : ईमानदार महिला अधिकारी सीनियर डीसीएम/चेन्नई श्रीमती मनीषा चटर्जी को अकारण और कार्यकाल पूरा होने स पहले हटाये जाने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिए जाने के संबंध में
सन्दर्भ : आपके द्वारा यात्री सेवाएं सुधारने और भ्रष्टाचार रोकने के संदर्भ में लिया गया आपका संकल्प.

महोदया,

निवेदन है कि उपरोक्त संदर्भ में आपके द्वारा रेल बजट के दौरान संसद में की गई घोषणा से उत्साहित होकर हम एक वास्तविक मामला 'एक टेस्ट केस' के तौर पर आपके संज्ञान में ला रहे हैं. इस मामले में आपके द्वारा की गई कार्रवाई और उठाए गए कदमों को देखने तथा आपके द्वारा की गई घोषणाओं की गंभीरता को आंकने के बाद हम भविष्य में भी आपको ऐसे अन्य कई गंभीर मामलों से अवगत कराएंगे.

महोदया, यह मामला चेन्नई मंडल, दक्षिण रेलवे के वाणिज्य विभाग का है, जो कि कुछ अफसरों और एक यूनियन विशेष की माफियागीरी के चलते पिछले करीब 20 सालों से भ्रष्टाचार का मजबूत गढ़ बना हुआ है. इस वजह से कुछ स्थानीय अधिकारी लगातार रेलवे को लूट रहे हैं या नुकसान पहुंचा रहे हैं, जबकि यात्री लावारिस भटक रहे हैं.

मार्च 2008 में एक ईमानदार महिला अधिकारी श्रीमती मनीषा चटर्जी (आईआरटीएस) को चेन्नई मंडल, द.रे. का वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) नियुक्त किया गया था. इस ईमानदार महिला रेल अधिकारी ने अपने कुछ महीनों के कार्यकाल के दौरान मंडल में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अन्य अनियमितताओं पर सख्ती से लगाम लगानी शुरू की थी. इनमें प्रमुख रूप से ट्रेनों में बेडरोल्स की सप्लाई को सुनिश्चित करना तथा कैटरिंग में व्याप्त अनियमितताओं और यात्री शिकायतों को दूर करना था.

महोदया, ईमानदार महिला अधिकारी श्रीमती मनीषा चटर्जी की इस ईमानदारी एवं रेल सेवा के प्रति उनके समर्पण का नतीजा यह हुआ है कि भ्रष्टाचार में शामिल न होने और मुख्य वाणिज्य प्रबंधक ï(सीसीएम/द.रे.) एवं मंडल रेल प्रबंधक ï(डीआरएम/चेन्नई) की प्रताडऩा के दबाव के बावजूद कैटरिंग स्टॉल धारकों एवं बेडरोल सप्लायरों से समझौता न करने के लिए उन्हें एक साल से भी कम समय में मार्च 2009 में सीनियर डीसीएम/चेन्नई के पद से हटा दिया गया. ईमानदार श्रीमती मनीषा चटर्जी को हटाकर अब उनकी जगह सीसीएम/द.रे. द्वारा अपने एक महाभ्रष्ट पिट्ठू को सीनियर डीसीएम/चेन्नई के पद पर बैठाकर खुलेआम रेलवे रेवेन्यु की लूट एवं भ्रष्टाचार का नंगा नाच शुरू कर दिया गया है.

महोदया, इस संबंध में दो पुख्ता मामलों का विस्तृत विवरण निम्नलिखित है, जिनकी जांच आप अपने स्तर पर करवाकर तुरंत इन भ्रष्ट और गैरजिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करके व्यवस्था (सिस्टम) को दुरुस्त करने का संदेश दे सकती हैं. क्योंकि पिछले मात्र दो-तीन महीनों के दौरान ही श्रीमती मनीषा चटर्जी द्वारा पूर्व में किए गए सभी सुधारों को पलटकर और उनके आदेशों को निरस्त करके संबंधित लिनन सप्लायर/कांट्रेक्टर एवं कैटरिंग स्टालधारकों को सीसीएम/द.रे., डीआरएम/चेन्नई तथा वर्तमान सीनियर डीसीएम/चेन्नई द्वारा पूरी तरह से अभयदान दे दिया गया है.

1. पहला मामला चेन्नई मंडल के लिनन/बेडरोल कांट्रेक्ट का है. इस मामले में संबंधित कांट्रेक्टर के पास कुछ गाडिय़ों में बेडरोल सप्लाई का और कुछ गाडिय़ों के बेडरोल्स की धुलाई (वाशिंग) का कांट्रेक्ट था. यह संबंधित कांट्रेक्टर रेलवे द्वारा धोने के लिए दी जाने वाली चादरें और तौलिया अपनी कांट्रेक्ट वाली ट्रेनों में सप्लाई करता था और रेलवे की करीब 8000 चादरें एवं तौलिया खो गई बताता था. इस पर लंबे समय से कोई कार्रवाई द.रे. के वाणिण्य विभाग अथवा यह ठेका देने वाले विद्युत विभाग द्वारा नहीं की गई क्योंकि यह ठेकेदार संबंधित अधिकारियों का पेट भरा और मुंह बंद करके रखता था.

परंतु ईमानदार महिला अधिकारी श्रीमती मनीषा चटर्जी ने इस पर कार्रवाई शुरू की थी. श्रीमती चटर्जी ने संबंधित बेडरोल कांट्रेक्टर पर 8000 बेडशीट, 8000 पिलो कवर और 15000 तौलिया गायब होने के लिए कुल 19,96,७०० रु. का दंड लगाया और रेलवे के नुकसान की भरपाई के लिए कार्रवाई शुरू की थी. इसी प्रकार अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपनी जांच के बाद बेडरोल्स की सप्लाई में विभिन्न प्रकार की अनियमितताएं पाये जाने पर संबंधित कांट्रेक्टर पर 11 लाख रु. का अतिरिक्त दंड भी लगाया था. परंतु सीसीएम एवं डीआरएम ने उन पर भरपूर दबाव डाला कि संबंधित कांट्रेक्टर पर लगाया गया यह समस्त दंड माफ कर दिया जाए. लेकिन नियम के खिलाफ इस दबाव को श्रीमती चटर्जी ने नहीं माना था.

इसके बाद सीसीएम/द.रे. ने अपनी तरफ से एक नोट जारी करके तत्कालीन सीनियर डीसीएम श्रीमती चटर्जी पर दबाव डाला कि संबंधित बेडरोल कांट्रेक्टर द्वारा जिन ट्रेनों में बेडरोल सप्लाई किया जा रहा है, उनमें कांट्रेक्टर के आदमी हटाकर रेलवे स्टाफ को लगाया जाए. इसके अलावा सीसीएम/द.रे. ने ठेके की शर्तों और रेलवे नियमों के खिलाफ एक आदेश जारी किया कि संबंधित बेडरोल कांट्रेक्टर तौलिया की जगह यात्रियों को 'पेपर नेपकिन' की सप्लाई करेगा.

महोदया, उल्लेखनीय है कि यह बात सभी अधिकारियों और यात्रियों को भी मालूम है कि कोई भी बेडरोल/लिनन कांट्रेक्टर ठेके की शर्तों के बावजूद यात्रियों को टावेल नहीं देता है. सीसीएम के नियम और ठेके की शर्तों के खिलाफ उपरोक्त अभूतपूर्व आदेश ने संबंधित ठेकेदार को भारी लाभ पहुंचाया है. तत्कालीन सीनियर डीसीएम श्रीमती मनीषा चटर्जी द्वारा दबाव को न मानने पर सीसीएम एवं डीआरएम दोनों ने उन्हें कांफिडंसियल नोट देने का एक सिलसिला ही चालू कर दिया और मीटिंग में तथा संबंधित कांट्रेक्टर के सामने दोनों उच्चाधिकारियों ने उन्हें अपमानित भी किया. अंतत: मार्च 2009 में बिना कार्यकाल पूरा हुए ही इस ईमानदार महिला अधिकारी (श्रीमती मनीषा चटर्जी) को हटाकर सीसीएम ने उनकी जगह सीनियर डीसीएम/चेन्नई के पद पर अपने एक खास चेहेते और महाभ्रष्ट अधिकारी श्री येशुरत्नम को बैठा दिया है, जो सारे समय श्रीमती चटर्जी द्वारा पूर्व में दिए गए आदेशों को रद्द करके दोनों हाथों से पैसा बटोरकर सीसीएम और डीआरएम सहित संबंधित बेडरोल कांट्रेक्टर को भी खुश करने में लगे हुए हैं.

2. दूसरा मामला चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पर कैटरिंग स्टालधारकों के स्टालों को आईआरसीटीसी को न सौंपे जाने का है. महोदया, रेलवे बोर्ड की कैटरिंग पॉलिसी के अनुसार चेन्नई सेंट्रल स्टेशन के सारे कैटरिंग स्टाल करीब 3-4 साल पहले ही आईआरसीटीसी को ट्रांसफर कर दिए जाने चाहिए थे, लेकिन इन कैटरिंग स्टालधारकों से सीधा लाभ मिलने और स्टेशन पर कुछ वाणिज्य अधिकारियों द्वारा भी बेनामी कैटरिंग स्टाल चलाए जाने के कारण रेलवे बोर्ड के आदेशों के बावजूद आईआरसीटीसी को आज 4-5 साल बाद भी यह कैटरिंग स्टाल ट्रांसफर नहीं किए गए हैं.

श्रीमती मनीषा चटर्जी ने सीनियर डीसीएम/चेन्नई का चार्ज लेने के बाद इन सभी कैटरिंग स्टालों ï(स्टेटिक कैटरिंग यूनिट्स) को आईआरसीटीसी को ट्रांसफर करने की दिशा में एक ज्वाइंट प्रोसीजर ऑर्डर (जेपीओ) दि. 23.12.2008 को जारी करके आईआरसीटीसी को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू की थी, परंतु सीसीएम/.रे. और नोडल ऑफीसर सीसीएम/पीस/.रे. तथा डीआरएम/चेन्नई की स्टालधारकों के साथ मिलीभगत के चलते स्टालधारकों ने चेन्नई हाईकोर्ट में मामला दाखिल करके जेपीओ के खिलाफ स्थगनादेश लेने की कोशिश की. स्टालधारकों को मदद करने और इस इरादे से कि रेलवे द्वारा इस मामले पर कोर्ट में विरोध किए जाने पर स्टालधारकों को एक्सपार्टी स्टे ऑर्डर (स्थगनादेश) मिल जाएगा, सीसीएम, सीसीएम/पीएस और डीआरएम ने हाईकोर्ट में रेलवे का पक्ष रखने के लिए रेलवे के किसी वकील को हाजिर ही नहीं होने दिया.

महोदया, परंतु इसी दरम्यान आईआरसीटीसी ने टेंडर जारी करके नये कैटरिंग स्टालों का आबंटन नये ठेकेदारों को कर दिया था. इन नये स्टालधारकों ने जब हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा, तब कोर्ट ने पुराने स्टालधारकों की याचिका को सिरे से रद्द कर दिया. सीसीएम एवं डीआरएम के तमाम प्रयासों के बावजूद कि कोर्ट का स्टे आर्डर पुराने ठेकेदारों के पक्ष में एक्सपार्टी हो जाए, कोर्ट द्वारा नहीं माना गया.

महोदया, यहां यह बताना/जानना जरूरी है कि चेन्नई सेंट्रल स्टेशन के पुराने स्टालधारकों से जहां रेलवे को मात्र 45 लाख रु. की सालाना लाइसेंस फीस प्राप्त होती है, वहीं आईआरसीटीसी द्वारा नियुक्त किए गए नये स्टालधारकों से सालाना करीब 4 करोड़ रु. की लाइसेंस फीस रेलवे/आईआरसीटीसी को मिलने वाली है. परंतु भ्रष्ट अधिकारियों की मनमानी के चलते इस करोड़ों रु. की रेलवे रेवेन्यु का नुकसान रेलवे को हो रहा है.

3. अब स्थिति यह है कि ईमानदार महिला अधिकारी श्रीमती मनीषा चटर्जी को ट्रांसफर के बाद उनके द्वारा दि. 23.12.2008 को जारी किए गए जेपीओ को डीआरएम/चेन्नई ने रद्द कर दिया है और पुराने स्टालधारकों को रेलवे बोर्ड के आदेशों एवं चेन्नई हाईकोर्ट के निर्णय की अवमानना करते हुए चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पर बनाए रखा है. जबकि पुराने स्टालधारकों को हाईकोर्ट के आदेशानुसार दि. 30.06.2009 तक स्टेशन/प्लेटफार्म से हटा दिया जाना चाहिए था और नये नियुक्त हुए स्टालधारकों को स्टेशन पर जगह का आवंटन करके बहाल कर दिया जाना चाहिए था, जिससे वह अपना व्यवसाय शुरू कर पाते. परंतु सीसीएम/.रे. और डीआरएम/चेन्नई तथा वर्तमान सीनियर डीसीएम/चेन्नई ने लिखित आदेश पारित करके स्टेशन मैनेजर एवं आरपीएफ को सख्त हिदायत जारी की है कि नये स्टालधारकों को स्टेशन परिसर में घुसने भी दिया जाए और पुराने स्टालधारकों को यथावत बने रहने दिया जाए. जबकि उपरोक्त अधिकारियों का यह लिखित आदेश सिर्फ रेलवे बोर्ड के आदेशों का उल्लंघन है बल्कि हाईकोर्ट के निर्णय की अवहेलना भी है.

महोदया, अब वर्तमान स्थिति यह है कि सभी पुराने स्टालधारक चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पर अनधिकृत रूप से काबिज हैं और अपना अवैध कारोबार चला रहे हैं, जबकि नये स्टालधारकों , जो कि रेलवे को 4 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस सालना दे रहे हैं, को स्टेशन से बाहर रखने के लिए अवैध रूप से लिखित आदेश दिए गए हैं. इस पर रेलवे बोर्ड भी यह जानते हुए सिर्फ एक चिट्ठी लिखकर खामोश बैठा है कि उसके आदेशों की किस प्रकार सीसीएम/.रे. द्वारा धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि इन पुराने स्टालधारकों, जिनके साथ कुछ स्थानीय वाणिज्य अधिकारी भी बेनामी तौर पर भागीदार (पार्टनर) हैं, द्वारा दोनों हाथों से सीसीएम, डीआरएम और सीनियर डीसीएम/चेन्नई को 'चढ़ावा' चढ़ाया जा रहा है. सीसीएम/.रे. श्री के. वी. नारायणदास हर हफ्ते हवाई मार्ग से अपने पैतृक निवास हैदराबाद जाते-आते हैं. उनके लिए इन हवाई टिकटों का इंतजाम कैटरिंग एवं बेडरोल कांट्रेक्टर करते हैं. एक कैटरिंग कांट्रेक्टर देवेंद्र प्रसाद को दिन भर श्री नारायणदास के चेंबर में बैठे देखा जा सकता है. बताते हैं कि देवेंद्र प्रसाद ने सीसीएम श्री नारायणदास को एक शानदार टाटा क्वालिस गाड़ी भी खरीदकर दी है.

महोदया, उल्लेखनीय है कि इससे पहले श्री नारायणदास सीसीएम/..रे. जबलपुर में भी रह चुके हैं. वहां भी सीमेंट एवं आयरन ओर लोडिंग कंपनियां इनके लिए हवाई टिकटों का इंतजाम करती थीं, क्योंकि यह उन कंपनियों को बारी से पहले रेक एलॉटमेंट/प्लेसमेंट और कई सुविधाएं मुहैया कराते थे. एक भ्रष्ट अधिकारी के रूप में जाने - जाने वाले श्री नारायणदास को आयरन ओर लोडिंग तथा वारफेज/डैमरेज माफ करने में घपलेबाजी के चलते ही ..रे. हुबली से हटाकर ..रे. जबलपुर भेजा गया था. जबलपुर में भी उनकी यही भ्रष्ट गतिविधियां जारी रहने से उन्हें वहां से हटाकर चेन्नई भेजा गया था. जहां वर्तमान में उनकी यह भ्रष्ट गतिविधियां यथावत जारी हैं.

महोदया, अत: अंत में आपसे यही अनुरोध है कि यात्रियों की सुविधाओं का ध्यान रखने तथा रेलवे में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की अपनी महत्वपूर्ण घोषणाओं के अनुरूप उपरोक्त विषय पर गहन जांच करवाएं तथा रेलवे बोर्ड और हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए सीसीएम/.रे. नोडल ऑफीसर सीसीएम/पीएस/.रे., डीआरएम/चेन्नई तथा वर्तमान सीनियर डीसीएम/चेन्नई, .रे. के खिलाफ उन्हें तुरंत उनके वर्तमान पदों से हटाकर गंभीर कार्रवाई करें और 'एग्जाम्प्लारी पनिशमेंट' दें. तभी व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की आपकी इच्छा का एक सही संदेश जाएगा.

धन्यवाद.

आपका शुभचिन्तक

सुरेश त्रिपाठी

सम्पादक, 'रेलवे समाचार'

१०५, डाक्टर्स हाउस, रहेजा काम्प्लेक्स,

कल्याण (पश्चिम) - ४२१३०१.

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