Wednesday, 20 May 2009

आवश्यक पदों के सृजन में अनावश्यक देरी

मुंबई : वेस्टर्न रेलवे इम्प्लाइज यूनियन (डब्ल्यूआरईयू) ने प.रे. प्रशासन का ध्यान आवश्यक अतिरिक्त पदों के सृजन में हो रही अनावश्यक देरी की तरफ आकर्षित करते हुए कहा है कि इस बढ़े हुए कार्य बोझ को वहन करने में वर्तमान स्टाफ को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उन्हें आवश्यक अवकाश भी नहीं मिल पाता है और दोहरी ड्यूटी करने के कारण उनके स्वास्ïथ्य पर बुरा असर पड़ रहा है.
डब्ल्यूआरईयू के अनुसार सूरत-भरुच और बड़ोदरा-भरुच तथा बड़ौदा-आणंद सेक्शन में क्रमश: ऑटोमेटिक सिगनलिंग वर्क के लिए 87, 114 और 5 गैर राजपत्रित पोस्टों की जरूरत है. इसी प्रकार प्रतापनगर-सीटीडी सेक्शन में टेलीकॉम वर्क के लिए गेज कन्वर्जन में 63 पदों के सृजन की आवश्यकता है, जबकि इसी सेक्शन में सिगनल वर्क के लिए 13 पदों की अतिरिक्त जरूरत है.
डब्ल्यूआरईयू का कहना है कि जब पर्याप्त फंड उपलब्ध है और प.रे. पर्याप्त मुनाफा कमा रही है तब उक्त जस्टीफाइड पदों के सृजन में प्रशासन क्यों जानबूझकर हीलाहवाली कर रहा है. जबकि इन पदों के अभाव में अवैध श्रमिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है, वहीं वड़ोदरा डिवीजन के वर्तमान स्टाफ पर काम का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है.
इसी मुद्दे पर डब्ल्यूआरईयू ने 20 अप्रैल को जगजीवनराम अस्पताल (जेआरएच) के सामने धरना दिया. यूनियन ने अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी की तरफ अस्पताल प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया. जेआरएच में स्टाफ की भारी कमी के कारण वर्तमान स्टाफ को कार्य का बोझ वहन करना मुश्किल हो रहा है. अधिक संख्या में पदों के खाली रहने से वर्तमान स्टाफ को काफी दिक्कतें हो रही हैं. उन्हें छुट्टिïयां नहीं मिलती हैं और न ही आवश्यक रेस्ट दिया जा रहा है. इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. यहां तक कि पैरामेडिकल स्टाफ को दो-दो वार्डों का काम देखना पड़ रहा है, इससे मरीजों की आवश्यक देखभाल भी नहीं हो पा रही है.
डब्ल्यूआरईयू और एआईआरएफ द्वारा लगातार दबाव डाले जाने पर रेलवे बोर्ड ने रोजंदारी पर निजी एजेंसियों को जेआरएच के रोजमर्रा के कामकाज हेतु रखे जाने के आदेश जारी किए हैं. इस पर डब्ल्यूआरईयू ने एमडी से कई बार बातचीत की, परंतु प्रशासन द्वारा इस संबंध में अब तक कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है. इसी संदर्भ में दिए गए धरने को कॉ. अनिल गांवकर, चेयरमैन, डीआरएम जेआरएच ब्रांच, मंडल सचिव कॉ. प्रकाश सावलकर एवं कॉ. एम. बालासुब्रह्मïण्यम ने संबोधित किया. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों और रे.बो. के आदेश पर शीघ्र उचित कदम नहीं उठाए गए तो उनका धरना एवं विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.

शहरों में मेट्रो रेल निर्माण के मापदंड
मुंबई : राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत से 23 और 24 मार्च को दिल्ली मेट्रो के सलाहकार/संपर्क अधिकारी श्री ओंकारलाल शर्मा ने जयपुर में सदिच्छा भेंट की, तब उन्होंने श्री शर्मा से पूछा था कि शहरों में मेट्रो रेल निर्माण के क्या मापदंद हैं. क्या जोधपुर में मेट्रो बन सकती है? इस विषय में श्री शर्मा ने श्री गहलोत को बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार विकसित देशों के जिन शहरों की आबादी 10 लाख हो, वहां रेल आधारित मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के लिए विचार किया जाना चाहिए और जब शहर की जनसंख्या 10 लाख से अधिक हो जाए तभी से योजना बनाना शुरू कर देना चाहिए. योजना पूर्ण होने तक आबादी 20 से 30 लाख तक हो जाती है. 40 लाख की आबादी होने पर योजना का विस्तार किया जा सकता है, किंतु हमारे जैसे विकासशील देश में धन के अभाव तथा अन्य कारणों से योजना पिछड़ जाती है किंतु योजना की रूपरेखा बनानी चाहिए जिससे पता चल जाए कि योजना उपयोगी है या नहीं और यदि उपयोगी है तो डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाकर आगे की कार्यवाही शुरू कर देनी चाहिए. श्री शर्मा ने बताया कि जयपुर की डीपीआर का काम प्रगति पर है.
श्री शर्मा के अनुसार डीपीआर के लिए ट्रैफिक स्टडी जरूरी है। ट्रैफिक स्टडी के अंतर्गत यातायात की आवश्यकता राइडरशिप फॉरकास्ट, भूमि उपयोग नीति, यातायात की आवश्यकता, रोजगार परिदृश्य, वाहन पंजीयकरण, रेल नेटवर्क, रोड नेटवर्क, बस ट्रांसपोर्ट सिस्टम, मेट्रो की आवश्यकता तथा उसके लाभ आदि का अध्ययन किया जाता है. डीपीआर में सिविल इंजीनियरिंग के अंतर्गत सभी सिविल निर्माण कार्य डिपो एवं स्टेशन का निर्माण, पटरियों का निर्माण एवं रखरखाव का विस्तृत विवरण होता है. इसी प्रकार ट्रेन ऑपरेशन प्लान के अंतर्गत गाडिय़ों का संचालन, पावर सप्लाई, सुरक्षा, रोलिंग स्टाक आदि का समावेश होता है. अंत में वित्तीय व्यावहारिकता के अंतर्गत वित्तीय विकल्प, लागत, राजस्व, किराये की संरचना, आंतरिक ब्याज की दर और उसकी वापसी तथा आर्थिक विश£ेषण किया जाता है. परियोजना को क्रियान्वित करने की कार्यवाही के लिए संस्थागत व्यवस्था और स्पेशल पर्पज व्हीकल बनाना चाहिए और सरकार से कर रियायत आदि प्राप्त करना चाहिए. मेट्रो प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए डेडीकेटेड फंड की आवश्यकता होती है.

संधु ने मुंबई मेट्रो का निर्माण कार्य देखा

मुंबई : राजस्थान सरकार के हाउसिंग एवं अर्बन डेवलपमेंट के प्रमुख सचिव श्री जी. एस. संधु ने पिछले दिनों स्टैंडर्ड गेज से बनने वाली वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर मेट्रो रेल के निर्माण कार्य को देखा. श्री संधु ने मुंबई मेट्रो पोलिटन रीजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) कार्यालय,ें मुंबई में चल रही परियोजनाओं का जायजा लिया. दिल्ली मेट्रो रेल के मुंबई में सलाहकार संपर्क अधिकारी श्री ओंकारलाल शर्मा ने मुंबई मेट्रो के डीपीआर की प्रति दिखलाई तो उन्होंने पूछा कि जयपुर की ऐसी डीपीआर कब तक बन जाएगी? इस पर श्री शर्मा ने कहा कि जयपुर मेट्रो की डीपीआर का कार्य जोरों से चल रहा है और 6 महीने के अंदर डीपीआर तैयार हो जाएगी. ज्ञातव्य हो कि डीपीआर में मेट्रो की आवश्यकता, ट्रैफिक स्टडी, पावर सप्लाई, लागत, वित्तीय व्यवस्था एवं परियोजना के निर्माण आदि की विस्तृत जानकारी का विवरण होता है. श्री संधु ने मुंबई मेट्रो की प्रथम लाइन, मोनो रेल के मॉडल को भी देखा था.

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