Wednesday 20 May, 2009

मध्य रेलवे की रीढ़ है माटुंगा वर्कशॉप
मुंबई : मध्य रेल के बेड़े की 100 मेल ट्रेनें और 107 लोकल ट्रेनें (107 मुंबई में और 4 पुणे में) आज अगर बिना किसी लाग-लपेट के यात्रियों की सेवा कर रहीं है, तो इसका श्रेय माटुंगा वर्कशॉप को निस्संदेह दिया जा सकता है. सन 1915 में 35 हेक्टर एरिया में बनाए गए इस वर्कशॉप में अब अगर कोई ट्रेन (कोच)चाहे लोकल हो या मेल, ओवरहॉलिंग के लिए आती है तो उसे 18 महीने के लिए दोबारा रिपेयरिंग से छुट्टïी मिल जाती है. यहां यह बताना जरूरी होगा कि रेलवे वर्कशॉप में भारी मरम्मत और तकनीकी मेंटीनेंस का काम होता है, जबकि कारशेड में रेकों का रूटीन देखभाल किया जाता है.
आईएसओ 9001और आईएसओ 14001से नवाजे जा चुके इस वर्कशॉप में कुल 1161 प्लांटस और मशीने फिट किए गए हैं जिसे करीब 7,000 कर्मचारी अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं. इन्हीं कर्मचारियों की बदौलत ट्रेनों का पूर्व-निरिक्षण, लिफ्टिंग, बॉडी रिपेयरिंग, उनके कल-पूर्जों को अलग करना फिर असेंबल करना, उनका रंग रोगन करना, सीटों में आवश्यक फेर-बदल करना, कुशन लगाना जैसे आवश्यक काम शामिल हैं. आजकल साधारण क्लास(चालू) डिब्बों में भी नीचे की सीटों में कुशन लगाने का काम चल रहा है और 450 कोचों में गद्देदार कुशन लगाए जा चुके हैं, तथा आने वाले दिनों में बाकी के 700 कोचों में ऐसे ही कुशन लगा दिए जाएंगे. इसके अलावा आजकल यहां जो सबसे महत्त्वपूर्ण काम किया जा रहा है वो यह कि डीसी रेक को एसी और डीसी रेक में कन्वर्जन का काम यहा फुल स्पीड से चल रहा है. कोचों में मोबाइल और लैपटॉप चार्जर लगाने और जंग लग चुके कोचों के हिस्सों को काटकर वहां नए स्टील बिठाने का काम भी यहीं चल रहा है. इसके अलावा हाल ही के दिनों में नई लोकलों में आई तकनीकी खराबी को हल करने के लिए महाप्रबंधक श्री. बी. बी. मोदगिल के निर्देश पर कपलिंग में क्रैक आने के मामले को डिटेक्ट करने के लिए लैब भी यहीं बनायी गयी है.
यहां के चीफ वर्कशॉप मैनेजर, श्री. ए. के तिवारी के अनुसार जैसे ही कोई कोच हमारे वर्कशॉप में पीरियॉडिक ओवरहॉलिंग के लिए लाया जाता है सबसे पहले उसके ऊपरी और निचले हिस्सों को अलग किया जाता है फिर उसके कल-पूर्जे अलग(स्ट्रिपिंग) किए जाते हैं, तत्पश्चात उसे संबंधित प्लांट में मरम्मत के लिए रवाना कर दिया जाता है. श्री तिवारी के अनुसार हम पूरी ट्रेनों को चुस्त-दुरुस्त करने के अलावा अपने वर्कशॉप को भी चुस्त-दुरुस्त करते रहते हैं. इसके लिए वर्किंग कंडिशन को सुधारने, इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के अलावा ओवरहॉलिंग की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए करीब 40 करोड़ रुपए के खर्च का बजट है.
मध्य रेल के मुख्य प्रवक्ता श्री श्रीनिवास मुडगेरिकर के अनुसार इस साल मध्य रेल ने 1,512 समर स्पेशल चलाई हैं जो कि पिछले साल से (818) से 85 प्रतिशत ज्यादा है. इस कामयाबी का क्रेडिट माटुंगा वर्कशॉप और यहां के कर्मचारियों को ही जाता है, जिनकी क्वालिटी कंट्रोल और मेंटीनेंस से आज हमारे पास ज्यादा रेक्स उपलब्ध हैं.

No comments: