माल ढुलाई में वृद्धि से अर्थव्यवस्था
में सुधार के संकेत
नयी दिल्ली : गत वित्त वर्ष 2008-09 की अंतिम तिमाही के जनवरी-फरवरी महीनों में भारतीय रेल की माल लोडिंग में आई गिरावट की अपेक्षा उक्त तिमाही के अंतिम महीने मार्च में इसमें 4.11 प्र.श. का सुधार हुआ था. इसी तरह इसे बरकरार रखते हुए चालू वित्त वर्ष 2009-10 के पहले महीने अप्रैल में 70 मिलियन टन की माल लोडिंग करके पिछले वर्ष की समान अवधि की अपेक्षा भा.रे. ने इसमें 3.41 प्र.श. की वृद्धि दर्ज की है. यदि भा.रे. की माल लोडिंग में हो रही वृद्धि को पैमाना माना जाए तो यह कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है. ज्ञातव्य है कि गत वित्त वर्ष में भा.रे. ने उसके पिछले वर्ष की अपेक्षा 4.7 प्र.श. ज्यादा (कुल 833 मिलियन टन) माल लोडिंग की थी.
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2009 में भा.रे. ने जनवरी 2008 के 74.55 मिलियन टन की अपेक्षा 2.91 प्र.श. कम यानी 72.44 मिलियन टन माल लोडिंग की थी. इसी प्रकार फरवरी 2009 में 0.86 प्र.श. की गिरावट के साथ कुल लोडिंग 70.02 मिलियन टन थी, जो कि फरवरी 2008 में 70.63 मिलियन टन रही थी. इसकी अपेक्षा मार्च 2009 में 4.11 प्र.श. की वृद्धि के साथ 81.71 मिलियन टन की लोडिंग हुई जो कि मार्च 2008 की समान अवधि में 78.48 मिलियन टन रही थी. अप्रैल 2009 में भी यह वृद्धि 3.41 प्र.श. (70 मिलियन टन) के साथ जारी है जबकि गत वर्ष की समान अवधि में यह 67.69 मिलियन हुई थी.
गत माह मार्च में करीब 2 मिलियन टन माल लोडिंग में वृद्धि दर्ज हुई थी, जिसका कारण कोयला, सीमेंट एवं स्टील में हुई ज्यादा लोडिंग थी. यह कहना है रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी का. अधिकारी का कहना था कि पिछले कुछ महीनों में कोर जिन्सों की ढुलाई में सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं. जनवरी और फरवरी में जब फ्रेट अर्निंग में गिरावट आई थी, तब मुख्य रूप से आइरन ओर, सीमेंट एवं स्टील के निर्यात में आई गिरावट मुख्य कारण था. परंतु अब इन जिन्सों की लोडिंग में पर्याप्त वृद्धि दिखाई दे रही है, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के टर्न अराउंड के संकेत हैं.
विश्वव्यापी मंदी के चलते गत वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय रेल की माल लोडिंग और अर्निंग में भारी गिरावट दर्ज हुई थी. इस दौरान मांग में कमी के चलते गत पूरे वर्ष में भा.रे. की विकास दर एक अंक में आ गई थी. रे.बो. के अधिकारी का कहना था कि मार्च से सीमेंट, कोयला और फर्टिलाइजर्स की लोडिंग में अपेक्षा के अनुरूप पर्याप्त सुधार दिखाई दे रहा है. अधिकारी का कहना था कि सीजन की जरूरत के अनुसार रेलवे द्वारा जिन्सों के वर्गीकरण में बदलाव किया जाता है जबकि पीक सीजन में रेलवे द्वारा ज्यादा माल दरें वसूल की जाती हैं. उसी प्रकार लीन सीजन में इन दरों में पर्याप्त छूट भी दी जाती है. अधिकारी का कहना था कि दरों में कमी करके फ्रेट लोडिंग और अर्निंग को बनाए रखने में काफी मदद मिलती है.
उक्त अधिकारी ने बताया कि रेलवे के फ्रेट रेट सीधे बाजार की मांग एवं आपूर्ति से जुड़े हुए होते हैं. जब निर्यात की मात्रा घट रही होती है तो हम एक्सपोर्ट ओरियेंटेड ट्रैफिक के लिए अपनी ढुलाई दरें भी उसी के अनुरूप घटाते हैं. उन्होंने बताया कि दिसंबर 2009 में जब आयरन ओर के निर्यात में भारी गिरावट आ गई थी, तब रेलवे ने इसकी ढुलाई दरों में 40 प्र.श. की छूट घोषित की थी. इससे रेलवे को अपनी रेवेन्यु अर्निंग को उचित स्तर पर बनाए रखने में काफी मदद मिली थी. गत वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जिन जिन्सों की ढुलाई में भारी गिरावट दर्ज हुई थी, उनमें आयरन ओर, स्टील और खाद्यान्न प्रमुख थे. इन जिन्सों की लोडिंग नकारात्मक रही थी जबकि पहली छमाही में इनमें क्रमश: 3.7 प्र.श. और 0.21 प्र.श. की सकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई थी.
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रेलवे पैसेंजर्स एसो. नार्थ जोन की मांग
लाल किला एक्स. को श्रीगंगानगर तक बढ़ाया जाए
अबोहर : रेलवे पैसेंजर्स एसोसिएशन नार्थ जोन के उपाध्यक्ष और पूर्व जेआरयूसीसी के सदस्य श्री हनुमानदास गोयल ने उ.रे. के महाप्रबंधक को पत्र लिखकर मांग की है कि गाड़ी नं. 3111/3112 लाल किला एक्स. को श्री गंगानगर तक बढ़ाया जाए और गाड़ी नं. 3007/3008 के रेक को यहां इंटरचेंज किया जाए क्योंकि श्री गंगानगर से गाड़ी नं. 2482 के सुबह 6 बजे दिल्ली के लिए रवाना होने के बाद से लगातार 15 घंटे तक यहां से सीधे 20.35 बजे 3008 उद्यान आभा एक्स. ही दिल्ली के लिए निकलती है. इससे यहां के लोगों को वित्तीय एवं शारीरिक नुकसान होता है. क्योंकि उन्हें बसों के लिए भागादौड़ी करनी पड़ती है.
श्री गोयल ने इसी तरह यात्रियों के हित में गाड़ी नं. 338/339 बीकानेर-अबोहर को भी श्री गंगानगर तक बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने लिखा है कि पूर्व महाप्रबंधक वी. एन. माथुर ने 6 मार्च 2007 को इसके आदेश भी दिए थे, परंतु उक्त आदेश आज तक लागू नहीं किया गया है. उन्होंने अबोहर स्टेशन के प्लेटफार्म नं. 1 की छत बनाने की मांग की है, जहां कि 30 साल से सिर्फ एक छोटा सा शेड बना है. इससे हर मौसम में लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. श्री गोयल ने श्रीगंगानगर और अमृतसर-जम्मू तवी तथा जयपुर एवं रेवाड़ी के लिए सीधी ट्रेन सर्विसेज की भी मांग की है. जिसके लिए लंबे अर्से से यहां की जनता इंतजार कर रही है.
Wednesday, 20 May 2009
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