Wednesday 20 May, 2009

गलत गतिविधियों में लिप्त पाए गए
8500
से ज्यादा रेलकर्मी/अधिकारी

नयी दिल्ली : रेल प्रशासन की कार्य प्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार एवं अवैध गतिविधियों के खिलाफ चलाई गई एक मुहिम के अंतर्गत 8500 से ज्यादा रेल अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दोषी पाया गया है. विभिन्न अनियमितताओं और धोखाधड़ी में लिप्त पाए गए इन रेल अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.
नवंबर 2008 तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सतर्कता निदेशालय, रेलवे बोर्ड द्वारा चलाई गई मुहिम के अंतर्गत 25,845 चेक किए गए. इसमें कुल 8,638 रेल कर्मचारियों, जिनमें से 117 राजपत्रित अधिकारी भी शामिल हैं, को ट्रैफिक अंडर चार्जेज एवं स्टाफ को धोखाधड़ी पूर्ण भुगतान के विभिन्न मामलों में दोषी पाया गया है.
ज्ञातव्य है कि विश्व के एकमात्र सबसे बड़े रोजगार प्रदाता भारतीय रेल में करीब 13000 राजपत्रित अधिकारियों सहित कुल मिलाकर करीब 14 लाख के आसपास रेल कर्मचारी हैं. इनमें जो धोखाधड़ीपूर्ण गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं, उनकी कुल संख्या 1403 है. इनमें से 1395 गैर राजपत्रित कर्मचारी हैं, जबकि इनमें दक्षिण पश्चिम रेलवे, हुबली के 8 राजपत्रित अधिकारी गलत गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं. इसी प्रकार उत्तर रेलवे दिल्ली के 1334, दक्षिण रेलवे चेन्नई के 760 और पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर के 728 अधिकारी-कर्मचारी लिप्त पाए गए हैं.
रेल प्रशासन में पारदर्शिता (ट्रांसपैरेंसी) और दायित्व (एकाउंटेबिलिटी) लाने के लिए सतर्कता संगठन द्वारा लगातार इस प्रकार की जांचें और चेक किए जाते हैं. रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि आने वाले महीनों में रेलवे रेवेन्यु लीकेज को रोकने के लिए इस तरह के चेक लगाकर चलाए जाएंगे. नवंबर 2008 तक की मुहिम में रेलवे को 79.88 करोड़ रुपए का फायदा हुआ. इसके अलावा रेलवे ने इस दरम्यान सर्वाधिक खराब क्षेत्रों में 10 सेक्टर्स की पहचान की गई है, जहां लगातार सतर्कता बरतने की जरूरत है. इसके अलावा कन्सेशंस का गैर इस्तेमाल/दुरुपयोग, ट्रैफिक बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर अमल और सामान्य कोचों में अनारक्षित टिकटों और आरक्षित कोचों में आरक्षित टिकटों के फ्रॉड आदि के चेक करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार रेल मंत्रालय द्वारा एग्रीड एवं सीक्रेट दो सूचियां बनाई जाती हैं। इसका मकसद भ्रष्टाचार पर सतत नजर रखना और उन अधिकारियों-कर्मचारियों पर लगातार नजर रखना होता है, जिनकी विश्वसनीयता (इंटेग्रिटी) संदिग्ध होती है। जिन अधिकारियों की विश्वसनीयता संदिग्ध होती है, उनकी सूचीसीबीआई के साथ मिलकर बनाई जाती है. जबकि सीक्रेट लिस्ट में उन अधिकारियों के नाम रखे जाते हैं, जिनकी विश्वसनीयता स्वीकृत जांच रिपोर्ट अथवा प्रमाणित भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत संदिग्ध होती है. इन दोनों सूचियों में शामिल अधिकारियों को संवेदनशील पोस्टों पर पोस्टिंग से अलग रखा जाता है.

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