हजारों टन स्क्रेप की बंटरबांट
भोपाल : कुछ समय पहले खिड़किया-बीड़ सेक्शन का डायवर्जन होने से इस सेशन से निकाला गया हजारों टन स्क्रेप मटीरियल वर्षों से बीड़ और छनेरा में रखा गया है, जबकि काफी रिलीज्ड रेलें अन्य रेलों को दे दी गई थीं. तथापि बीड की नर्मदा साइडिंग में अभी भी काफी मात्रा में रिलीज्ड रेलें पड़ी हुई हैं. इसके अलावा दोनों जगहों पर एसटीएस स्लीपर्स, ईआरसी, चाबी आदि हजारों टन माल रखा गया है.
बताते हैं कि यह माल काफी मात्रा में अब तक चोरी हो चुका है, जबकि 23-24 मार्च को यहां से एसटीएस स्लीपर्स लोड करके ले जा रहे एक ट्रक को आरपीएफ ने पकड़ा। मगर दो दिन बाद माल उतारकर ट्रक को छोड़ दिया गया और अब तक इस मामले की कोई जांच नहीं की गई है. 'रेलवे समाचार' को यह खबर 27 मार्च को मिली, तो सर्वप्रथम एसडीजीएम/सीवीओ, प.म.रे. श्री पूनिया को इसकी जानकारी देने की कोशिश की गई, मगर उन्होंने दोनों बार मोबाइल रिसीव नहीं किया. तब इसकी जानकारी एडवाइजर विजिलेंस, रे.बो. और आईजी/सीएससी/आरपीएफ/प.म.रे. श्री माहिम स्वामी को दी गई. प्राप्त जानकारी के अनुसार 24 मार्च को एक ट्रक बीड से एसटीएस स्लीपर लोड करके ले जाते हुए छनेरा आरपीएफ पोस्ट के एएसआई गणेश प्रजापति ने पकड़ा. पूछताछ करने पर ट्रक ड्राइवर ने बताया कि उक्त माल छनेरा शिफ्ट किया जा रहा है. इस पर प्रजापति को विश्वास नहीं हुआ तो उन्होंने ट्रक को ले जाकर छनेरा पोस्ट में खड़ा करा लिया. परंतु इस बीच पता नहीं क्या खिचड़ी पकी कि दो दिन बाद माल उतारकर ट्रक को छोड़ दिया गया और कोई केस दर्ज नहीं किया गया.
पता चला है कि उक्त ट्रक गुना सेक्शन में चल रहे ट्रांसपोर्ट कांट्रेक्ट का था. इस बात की पुष्टि गुना के पीडब्ल्यूआई ने हमारे सूत्रों से की है. आश्चर्य इस बात का है कि गुना से काफी दूर बीड में यह ट्रक क्यों भेजा गया? ट्रक ड्राइवर और वहां मौके पर मौजूद पीडब्ल्यूआई/एम. खंडवा सीनियर आईएसए और बीआरआई/सी/खंडवा द्वारा बताई गई यह बात भी, कि मटीरियल बीड से छनेरा शिफ्ट किया जा रहा था, सिरे से गलत है. क्योंकि दोनों जगहों पर जब समस्त रिलीज्ड मटीरियल आधा-आधा पड़ा है और ऐसा कोई आदेश भी नहीं दिया गया था, तब वह मटीरियल शिफ्ट करने की बात बेमानी है, जो कि दूसरी जगह पहले से ही बड़ी मात्रा में जमा किया हुआ पड़ा है.
सूत्रों का कहना है कि पूर्व सीनियर आईएसए ने दोनों जगहों पर पड़े इस हजारों टन रिलीज्ड मटीरियल का रिकार्ड के अनुसार मिलान करके इसका स्टॉक लगवाया था. परंतु फिर भी काफी बड़ी मात्रा में अभी गैर रिकार्डेड स्टॉक पड़ा हुआ है. सूत्रों ने बताया कि इस गैर रिकार्डेड स्टॉक से काफी मात्रा में मटीरियल की चोरी हो चुकी है. परंतु फिर भी इस तरफ न तो इंजी. विभाग का और न ही विजिलेंस का कोई ध्यान जा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि मटीरियल शिफ्ट करने के फर्जी आदेश बाद में बनाए गए हैं. कई जगह रिकार्ड में जैसे 4 टन मटीरियल को 0.4 टन बनाकर बाकी मटीरियल स्पेयर करके बेच दिया गया है. इसमें सीनियर आईएसए की भूमिका को सर्वाधिक संदिग्ध बताया जा रहा है. बताते हैं कि इस स्क्रेप की चोरी और बंदरबांट में स्थानीय स्क्रेप चोर माफिया सईद मियां के साथ उपरोक्त तीनों रेल कर्मियों की मिलीभगत काफी लंबे अर्से से चल रही है.
सूत्रों ने बताया कि यदि यहां काम कर चुके किसी पूर्व सीनियर आईएसई को लेकर ईमानदारी से जांच की गई तो न सिर्फ 23-24 मार्च को उक्त तीनों रेलकर्मियों की मौजूदगी (मूवमेंट) बीड में मिल जाएगी. बल्कि इनकी मिलीभगत से अब तक यहां से चोरी गए हजारों टन माल की पुष्टि भी हो जाएगी. क्योंकि कंस्ट्रक्शन कार्यालय, भोपाल में इसका समस्त रिकार्ड मौजूद है.
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