रतलाम : मंडल के भोपाल-उज्जैन खंड के पीर उमरोद स्टेशन के पास टूटी रेल देखकर एक गैंगमैन की सतर्कता के कारण वहां से सीधे पास हो रही एक मालगाड़ी का भयानक हादसा होने से बच गया. यह घटना 1 अप्रैल दोपहर की है. भयानक गर्मी के इस मौसम में जिस तरह लगातार रेल फ्रेक्चर हो रहे हैं, पटरियां चटक रही हैं, उससे 'रेलवे समाचारÓ द्वारा पूर्व में व्यक्त की गई आशंका सही साबित हो रही है कि थोड़े से फायदे के लिए मालगाडिय़ों में दी गई एसेस लोडिंग की अनुमति और उसके ऊपर हो रही 'ओवर लोडिंग' के भयावह परिणाम सामने आ सकते हैं. पीर उमरोद स्टेशन के पास टली मालगाड़ी की दुर्घटना इसी आशंका को सही साबित कर रही है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार 1 अप्रैल को दोपहर करीब 12.40 बजे के आसपास भोपाल से आ रही एक मालगाड़ी (क्र. एन/केआरसीए) पीर उमरोद स्टेशन से थ्रू पास होने वाली थी. उक्त मालगाड़ी के लिए सभी सिगनल ग्रीन थे. तभी अचानक एक गैंगमैन ने जोर से चिल्लाकर स्टेशन मास्टर को आवाज लगाई और बताया कि अप मेन लाइन पर किमी./खंभा नं. 103/15 एवं 103/13 के बीच रेल लाइन टूटी हुई है. मालगाड़ी को फौरन रोको, वरना बड़ी दुर्घटना हो जाएगी.
गैंगमैन की इस सूचना पर स्टेशन मास्टर भी बुरी तरह हड़बड़ा गया और उसे कुछ सुझाई नहीं दिया. पहले सिगनल
लाल करने के बजाय लाल झंडी लेकर वह सरपट भागते हुए अप लाइन पर पहुंचकर तेजी से आ रही मालगाड़ी ड्राइवर को लाल झंडी दिखाकर गाड़ी को तुरंत रोकने का इशारा करने लगा. तब तक मालगाड़ी किमी. 103/29 (होम सिगनल पार करके यार्ड में घुस चुकी थी) पर आ चुकी थी. हड़बड़ी में स्टेशन मास्टर को जल्दी-जल्दी लाल झंडी लहराते देखकर मालगाड़ी के ड्राइवर ने तुरंत आपातकालीन ब्रेक लगाए, फिर भी उसकी मालगाड़ी किमी. नं. 103/19 (टूटी लाइन से मात्र डेढ़ खंभा - एक फर्लांग पहले) पर जाकर रुकी. इस तरह सतर्क गैंगमैन, स्टेशन मास्टर और मालगाड़ी ड्राइवर की सतर्कता के कारण एक भयानक हादसा होते-होते टल गया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार अप मालगाड़ी क्र. एच/केआरसीए से मात्र 8-10 मिनट पहले ही उक्त लाइन से गाड़ी नं. 2920 जम्मू तवी - इंदौर मालवा एक्सप्रेस गुजरी थी. जानकार स्टाफ के अनुसार यह रेल फ्रेक्चर मालवा एक्सप्रेस से पहले हुआ हो सकता है. क्योंकि रेल में सीधे ऊपर नीचे दरार पड़ी थी. स्पीड कम होने से मालवा एक्स. तो उस पर से गुजर गई मगर रेल का उज्जैन की तरफ वाला टुकड़ा कुछ टेढ़ा हो गया था.
जानकारों का मानना है कि इससे मालवा एक्स. तो डिरेल होने से बच गई मगर यदि उस पर से तेजी से थ्रू जा रही मालगाड़ी गुजरती तो बड़ा भयानक हादसा हो जाता. क्योंकि रेल फ्रेक्चर पर से गुजरने वाली दूसरी गाड़ी निश्चित रूप से डिरेल होती है. ज्ञातव्य है कि भोपाल-उज्जैन खंड से प्रतिदिन 10-12 यात्री गाडिय़ों के अलावा अप-डाउन मिलाकर कुल करीब 30 मालगाडिय़ां गुजरती हैं.
रनिंग स्टाफ का मानना है कि यह रेल फ्रेक्चर ओवर लोडिंग का परिणाम है. क्योंकि भयानक गर्मी के मौसम में रेल पटरियां टूटती नहीं बल्कि टेढ़ी-मेढ़ी (बकलिंग) हो जाती हैं. इस मामले में प.रे. के इंजी. विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि एक्सेस लोडिंग का दुष्परिणाम तो रेल पटरियों पर काफी हो रहा है. मगर फिलहाल यह कहना काफी मुश्किल या जल्दबाजी होगी कि उक्त रेल फ्रेक्चर एक्सेस लोडिंग की वजह से हुआ. तथापि उनका कहना था कि अक्सर गर्मियों में रेल फ्रेक्चर अपवाद स्वरूप ही होते हैं. क्योंकि गर्मी और दबाव के चलते इस मौसम में रेल पटरियों में बकलिंग ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि उक्त खंड में रेल कैसे और क्यों टूटी, इसकी जानकारी तो पूरी जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही हो पाएगी.
बहरहाल, एक्सेस लोडिंग और ओवर लोडिंग (बढ़ाई गई लोडिंग क्षमता के बाद अवैध लोडिंग) के कारण इंजी. विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की नींद हराम हो गई है क्योंकि उन्हें लाइनों की डीप स्क्रीनिंग सहित लगातार खराब हो रही रेल के साथ-साथ पैकिंग रबर (ईआरसी), चाभी और स्लीपर्स को लगातार बदलना पड़ रहा है. ट्रंक रूट लाइनों की हालत इससे और ज्यादा खराब है. यदि शीघ्र ही इस एक्सेस और ओवर लोडिंग को नहीं रोका गया तो रेल दुर्घटनाओं की झड़ी लग सकती है. उपरोक्त घटना की विस्तृत जानकारी 'रेलवे समाचार' ने प.रे. के परिचालन एवं इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों को दे दी है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार 1 अप्रैल को दोपहर करीब 12.40 बजे के आसपास भोपाल से आ रही एक मालगाड़ी (क्र. एन/केआरसीए) पीर उमरोद स्टेशन से थ्रू पास होने वाली थी. उक्त मालगाड़ी के लिए सभी सिगनल ग्रीन थे. तभी अचानक एक गैंगमैन ने जोर से चिल्लाकर स्टेशन मास्टर को आवाज लगाई और बताया कि अप मेन लाइन पर किमी./खंभा नं. 103/15 एवं 103/13 के बीच रेल लाइन टूटी हुई है. मालगाड़ी को फौरन रोको, वरना बड़ी दुर्घटना हो जाएगी.
गैंगमैन की इस सूचना पर स्टेशन मास्टर भी बुरी तरह हड़बड़ा गया और उसे कुछ सुझाई नहीं दिया. पहले सिगनल
लाल करने के बजाय लाल झंडी लेकर वह सरपट भागते हुए अप लाइन पर पहुंचकर तेजी से आ रही मालगाड़ी ड्राइवर को लाल झंडी दिखाकर गाड़ी को तुरंत रोकने का इशारा करने लगा. तब तक मालगाड़ी किमी. 103/29 (होम सिगनल पार करके यार्ड में घुस चुकी थी) पर आ चुकी थी. हड़बड़ी में स्टेशन मास्टर को जल्दी-जल्दी लाल झंडी लहराते देखकर मालगाड़ी के ड्राइवर ने तुरंत आपातकालीन ब्रेक लगाए, फिर भी उसकी मालगाड़ी किमी. नं. 103/19 (टूटी लाइन से मात्र डेढ़ खंभा - एक फर्लांग पहले) पर जाकर रुकी. इस तरह सतर्क गैंगमैन, स्टेशन मास्टर और मालगाड़ी ड्राइवर की सतर्कता के कारण एक भयानक हादसा होते-होते टल गया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार अप मालगाड़ी क्र. एच/केआरसीए से मात्र 8-10 मिनट पहले ही उक्त लाइन से गाड़ी नं. 2920 जम्मू तवी - इंदौर मालवा एक्सप्रेस गुजरी थी. जानकार स्टाफ के अनुसार यह रेल फ्रेक्चर मालवा एक्सप्रेस से पहले हुआ हो सकता है. क्योंकि रेल में सीधे ऊपर नीचे दरार पड़ी थी. स्पीड कम होने से मालवा एक्स. तो उस पर से गुजर गई मगर रेल का उज्जैन की तरफ वाला टुकड़ा कुछ टेढ़ा हो गया था.
जानकारों का मानना है कि इससे मालवा एक्स. तो डिरेल होने से बच गई मगर यदि उस पर से तेजी से थ्रू जा रही मालगाड़ी गुजरती तो बड़ा भयानक हादसा हो जाता. क्योंकि रेल फ्रेक्चर पर से गुजरने वाली दूसरी गाड़ी निश्चित रूप से डिरेल होती है. ज्ञातव्य है कि भोपाल-उज्जैन खंड से प्रतिदिन 10-12 यात्री गाडिय़ों के अलावा अप-डाउन मिलाकर कुल करीब 30 मालगाडिय़ां गुजरती हैं.
रनिंग स्टाफ का मानना है कि यह रेल फ्रेक्चर ओवर लोडिंग का परिणाम है. क्योंकि भयानक गर्मी के मौसम में रेल पटरियां टूटती नहीं बल्कि टेढ़ी-मेढ़ी (बकलिंग) हो जाती हैं. इस मामले में प.रे. के इंजी. विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि एक्सेस लोडिंग का दुष्परिणाम तो रेल पटरियों पर काफी हो रहा है. मगर फिलहाल यह कहना काफी मुश्किल या जल्दबाजी होगी कि उक्त रेल फ्रेक्चर एक्सेस लोडिंग की वजह से हुआ. तथापि उनका कहना था कि अक्सर गर्मियों में रेल फ्रेक्चर अपवाद स्वरूप ही होते हैं. क्योंकि गर्मी और दबाव के चलते इस मौसम में रेल पटरियों में बकलिंग ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि उक्त खंड में रेल कैसे और क्यों टूटी, इसकी जानकारी तो पूरी जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही हो पाएगी.
बहरहाल, एक्सेस लोडिंग और ओवर लोडिंग (बढ़ाई गई लोडिंग क्षमता के बाद अवैध लोडिंग) के कारण इंजी. विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की नींद हराम हो गई है क्योंकि उन्हें लाइनों की डीप स्क्रीनिंग सहित लगातार खराब हो रही रेल के साथ-साथ पैकिंग रबर (ईआरसी), चाभी और स्लीपर्स को लगातार बदलना पड़ रहा है. ट्रंक रूट लाइनों की हालत इससे और ज्यादा खराब है. यदि शीघ्र ही इस एक्सेस और ओवर लोडिंग को नहीं रोका गया तो रेल दुर्घटनाओं की झड़ी लग सकती है. उपरोक्त घटना की विस्तृत जानकारी 'रेलवे समाचार' ने प.रे. के परिचालन एवं इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों को दे दी है.
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