नयी दिल्ली : नई पेंशन योजना (एनपीएस) को लाने का फैसला करके बेशक सरकार ने अपने कर्मचारी को खुश कर दिया है, मगर इसके निवेश के कई ऑह्रश्वशन देकर इसके जरिए पडऩे वाले vittiya बोझ को कम करने के उपाय भी कर दिए हैं.
पूर्व vitta मंत्री श्री पी. चिदंबरम ने साफ तौर पर यह कह दिया था कि पेंशन योजना का मसौदा तैयार करते हुए इस बात का ध्यान रखा जाए कि इससे कर्मचारियों को लाभ मिले. मगर साथ में यह बात भी साफ होनी चाहिए कि इससे सरकार पर अतिरिक्त vittiya बोझ न पड़े. अगर पड़े भी तो इतना पड़े कि उसको पूछने में अधिक मशकत न करनी पड़े.
यही कारण है कि जहां कर्मचारियों को विभिन्न बाजारों और योजनाओं में निवेश का aashwashan इस योजना में दिया गया है, वहीं यह प्रावधान भी किया गया है कि इसमें कर्मचारियों को न्यूनतम अपने बेसिक वेतन और डीए का दस प्रतिशत देना होगा. जितना योगदान कर्मचारी देगा, उतना ही सरकार का योगदान भी रहेगा. इसके अतिरिक्त जितना अधिक पैसा कर्मचारी देना चाहे वह दे सकेगा. उसके अनुपात में सरकार का योगदान भी बढ़ता जाएगा.
इसके पीछे एक खास उद्देश्य है. सरकार इसका निवेश शेयर बाजारों, mयुचुअल फंडों और अन्य योजनाओं में करेगी. बात साफ है कि सरकार ने पेंशन फंड के निवेश के जरिए रिटर्न और आय बढ़ाने के पुता इंतजाम कर दिए हैं. अगर रिटर्न और आय ज्यादा बढ़ी तो इसमें आम आदमी के साथ सरकार को भी फायदा होगा. मगर इसमें जोखिम बहुत ज्यादा है.
यह बात किसी को नहीं भूलनी चाहिए. श्रम मंत्रालय ने जब पीएफ पर याज दर बढ़ाने के लिए अपना प्रस्ताव vitta मंत्रालय के पास भेजा था, तो जवाब स्पष्ट शब्दों में यह आया था कि मौजूदा याज दर देने में ही सरकार को उधारी लेनी पड़ रही है. ऐसे में अगर vyaaj दर और बढ़ा दी गयी तो लेने के देने पड़ जाएंगे. सरकार का कर्जा और बढ़ जाएगा. इसके बाद श्रम मंत्रालय और vitta मंत्रालय दोनों ने मिलकर तय किया कि ऐसा कोई उपाय किया जाए पेंशन फंड का इस्तेमाल बाजार में लगाया जाए और उससे होने वाली आय से पीएफ पर vyaaj दर का भुगतान किया जाए.
यही कारण है कि अब नई पेंशन योजना को लाया जा रहा है. हालांकि चर्चा यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान लागू आचार संहिता के कारण नई पेंशन स्कीम को एक अप्रैल-2009 से लागू नहीं किया जाएगा. लोकसभा चुनाव के परिणामों का इंतजार किया जाएगा. इसके बाद ही नई सरकार के गठन के बाद इसको लागू किया जाएगा. बेशक तकनीकी कारणों से इसे लागू करने में देरी हो, मगर यह तय है कि यह योजना लागू होगी. नई सरकार को इसे जल्द लागू करना ही होगा, क्योंकि इसके लागू करने की सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं. फंड मैनेजरों की नियुक्ति तक हो गई. वैसे भी नई सरकार कर्मचारियों को नाराज नहीं करना चाहिए.
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