पैसा लेकर शीघ्र और ज्यादा डीपीसी करवाने की शिकायत
नयी दिल्ली : रेलवे बोर्ड के कुछ कार्मिक अधिकारियों और एक पूर्व मेंबर स्टाफ तथा एक ऑफीसर्स फेडरेशन के पदाधिकारी के खिलाफ पैसा लेकर शीघ्र और ज्यादा डीपीसी करवाने की एक शिकायत वर्तमान मेंबर स्टाफ सहित सीआरबी को की गई है. ऐसा पता चला है कि यह शिकायत सेना के किसी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल ने की है. हालांकि आफीसर्स फेडरेशन के पदाधिकारी इसकी पुष्टि कर रहे हैं परंतु उनके पास इस शिकायत की प्रति नहीं है. बताते हैं कि इस शिकायत में उपरोक्त पदाधिकारियों/ अधिकारियों पर पैसा लेकर डीपीसी करवाने का आरोप लगाया गया है। यदि यह शिकायत वास्तव में 'जेनुइन' है तो यह एक गंभीर मामला है क्योंकि इससे न सिर्फ पूरे रेलवे बोर्ड की बल्कि यूपीएससी की विश्वसनीयता भी संदिग्ध हो गई है.
'रेलवे समाचार' का मानना है कि यह शिकायत सच हो या झूठी हो, इसकी विस्तृत जांच सीबीआई से करवाई जानी चाहिए और इसके पहले संबंधित आफीसर्स फेडरेशन को लिखित रूप से इसकी जांच की मांग करनी चाहिए. क्योंकि इस शिकायत का सर्वाधिक नुकसान ऑफीसर्स फेडरेशन को ही हुआ है अथवा होने वाला है. यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मात्र इसी तरह से अपनी गरिमा को बचा सकती है. हालांकि बोर्ड के हमारे सूत्रों का कहना है कि शिकायत में कोई गंभीरता नहीं है और सर्वाधिक डीपीसी पूर्व एमएस तथा वर्तमान सीआरबी की पहल पर ही हुई हैं जोकि स्टाफ और प्रशासन के हित में उठाया गया उनका एक अच्छा कदम था.
इस शिकायत की चर्चा प्रत्येक जोन में हो रही है. इसस ग्रुप 'बी' का संपूर्ण अधिकारी वर्ग असहज महसूस कर रहा है. 24 अप्रैल को नार्दर्न रेलवे प्रमोटी आफीसर्स एसोसिएशन (एनआरओए) की कार्यकारिणी की बैठक में इसकी घोर भत्र्सना सभी अधिकारियों ने की है. तथापि उनमें से ज्यादातर अधिकारियों का यह मानना था कि यह एक हौव्वा है. उन्हें इस शिकायत की सच्चाई पर भरोसा नहीं हो पा रहा है. यह स्थिति ठीक नहीं है. इस पर रेलवे बोर्ड और सीआरबी को खुद भी पहल करनी चाहिए और पत्र पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
हालांकि इस बात की पुष्टि 'रेलवे समाचार' ने मेंबर स्टाफ से करने की कोशिश की मगर उनसे बात नहीं हो पाई. तथापि सीवीसी में हमारे सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि ऐसी शिकायत सीवीसी को मिली थी और इसकी विस्तृत जांच के लिए सीवीसी ने इसे एडवाइजर (विजिलेंस) रे.बो. को अग्रसारित कर दिया है. बोर्ड के हमारे सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है कि सीवीसी से अग्रसारित ऐसी लिखित शिकायत विजिलेंस डायरेक्टोरेट को प्राप्त हो गई है. जिसे जांच और पुष्टि के लिए डायरेक्टर विजिलेंस (आईपीएस) श्री संजय कुमार को सौंप दिया गया है.
सूत्रों का कहना है कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और इस पर पूरे बोर्ड में हड़कंप मचा हुआ है क्योंकि यदि शिकायत की जेनुइननेस साबित हो जाती है तो अन्य किसी का कुछ बिगड़े या नहीं, मगर डीपीसी कमेटी के मेंबरों का बहुत कुछ बिगड़ सकता है.
तथापि सूत्रों का कहना है कि यदि यह शिकायत अथवा शिकायतकर्ता फर्जी साबित हुआ तो भी यदि प्राथमिक जांच में इस बारे में कुछ गड़बड़ी पाई जाती है तो भी डीपीसी मेंबरों की स्थिति अत्यंत असमंजसपूर्ण हो जाएगी. अंत में सूत्रों का कहना था कि कुछ हो न हो, मगर फिलहाल पूरा बोर्ड सकते की हालत में है और डीपीसी मेंबरों सहित बोर्ड के दो अधिकारियों सहित प्रमोटी ऑफीसर्स फेडरेशन के एक प्रमुख पदाधिकारी की विश्वसनीयता संदिग्ध हो गई है. सूत्रों का स्पष्ट कहना था कि उन्हें इस संदिग्धपूर्ण स्थिति से तभी निजात मिल सकती है, जबकि विजिलेंस जांच से स्थिति शीघ्र स्पष्ट हो जाए. सूत्रों का यह भी कहना था कि उक्त पदाधिकारी की हांकने की आदत और अपरिपक्व व्यवहार ने बोर्ड में फेडरेशन की स्थिति को पसोपेश में डाल दिया है.
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