Monday 11 January, 2010

दिल्ली में ही क्यों जमे हैं बीसों साल
से तमाम आईआरपीएस अधिकारी


एडीआरएम/आगरा से निवृत्त हुए विधु
कश्यप को दिल्ली में जगह नहीं मिली


नयी दिल्ली : दिल्ली को कुछ रेल अधिकारियों ने अपना गढ़ बना लिया है. वे दिल्ली को छोड़कर बाहर जाना नहीं चाहते हैं. इसके परिणामस्वरुप अन्य अधिकारियों को दिल्ली में और खास तौर पर रेलवे बोर्ड में अपनी पूरी सर्विस के दौरान काम करने का मौका नहीं मिल पा रहा है. इससे तमाम अधिकारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है. हालाँकि बताते हैं कि यह बीमारी सभी विभागों में है मगर इसका शिकार सबसे ज्यादा आईआरपीएस अधिकारी हो रहे हैं. इन आईआरपीएस अधिकारियों में जो लगभग 15-20 साल से दिल्ली में अपना डेरा जमाये हुए हैं उनमें से कुछ के नाम प्राप्त हुए हैं जो इस प्रकार हैं...

1. श्री कारण सिंह
2. श्री जसवंत सिंह
3. श्री . एन. खाती
4. श्री सुभास मित्तल
5. श्री महावीर सिंह
6. आर. डी चौधरी
7. श्री अनिल गुलाटी
8. श्रीमती उर्विला छिब्बर
9. श्रीमती देविका चिकारा
10. श्रीमती नीरा खुंटिया.

प्राप्त जानकारी के अनुसार हाल ही में एडीआरएम/आगरा से निवृत्त हुए श्री विधु कश्यप को दिल्ली में जगह नहीं मिल रही है. पता चला है कि श्री कश्यप को दिल्ली में पोस्टिंग चाहिए थी और उन्होंने इसके लिए मेम्बर स्टाफ से निवेदन भी किया था, मगर उन्हें माना कर दिया गया और अब बताते हैं कि उन्हें उत्तर मध्य रेलवे, इलाहबाद में पोस्टिंग दी गयी है जहाँ पहले से ही इस ग्रेड में अधिकारी ज्यादा हैं. इसके अलावा बताते हैं कि श्री कश्यप के जाने से वहां श्री के. वी. नागाईच को मुख्य कार्मिक अधिकारी ( सीपीओ ) की पोस्ट से हटना पड़ेगा क्योंकि श्री कश्यप - श्री नागाईच से सीनियर हैं.

बताते हैं कि ये तमाम आईआरपीएस अधिकारी उच्च राजनितिक संपर्कों की बदौलत कभी राइट्स में तो कभी इरकान में, कभी आरवीएनएल में तो कभी डीएमआरसी में अपनी प्रतिनियुक्ति करवाकर दिल्ली में ही पूरी सर्विस कर रहे हैं. और यदि रेलवे सम्बन्धी इन 'घोसलों' में जगह नहीं मिल पाती है तो ये दूसरे मंत्रालयों में प्रतिनियुक्ति ले लेते हैं मगर दिल्ली से बाहर नहीं जाते हैं. इस प्रकार ये दिल्ली में ही करीब 20-25 साल से जमे हुए हैं और इस प्रकार ये दूसरे अधिकारियों को दिल्ली और रेलवे बोर्ड में या तो काम करने मौका नहीं दे रहे हैं अथवा उन्हें वहां आने नहीं दे रहे?

असंतुष्ट अधिकारियों का कहना है कि यह लोग विभागीय पोस्टों और ग्रेडों में अपनी पोस्टिंग बनाये रखने के लिए चमचागीरी के उच्चतम मानदंडों और राजनितिक दबावों का इस्तेमाल कर रहे हैं. उनका कहना है कि इन हथकंडों से ये लोग अन्य अधिकारियों को दिल्ली आने से भी रोक रहे हैं. इन अधिकारियों का कहना है कि मेम्बर स्टाफ की यह देखने की जिम्मेदारी है कि क्या सिर्फ यही कुछ लोग दिल्ली में बने रहने के लिए अपनी जन्म पत्री में लिखवाकर लाये हैं...? उनका कहना है कि मेम्बर स्टाफ को इस बात का जवाब देना चाहिए.

इन अधिकारियों का यह भी कहना है कि मेम्बर स्टाफ को इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि रोटेशनल ट्रान्सफर नियमों से क्या सिर्फ यही कुछ लोग ऊपर हैं...जो दिल्ली से आजतक बाहर नहीं भेजे गए हैं...? उनका कहना है कि पीरियोडिकल ट्रान्सफर पॉलिसी दिल्ली में ही बीसों साल से जमे बैठे इन अधिकारियों पर क्यों नहीं लागू हो रही है...? इन अधिकारियों का कहना है कि जब रोटेशनल ट्रान्सफर नियमों और पीरियोडिकल ट्रान्सफर पॉलिसी को बनाने वाला मेम्बर स्टाफ जैसे उच्च ओहदे पर बैठा अधिकारी ही इस सबसे अपनी आँखें बंद रखेगा और इस प्रकार से सोता रहेगा तो उसे फील्ड में कार्यरत अपने मातहत अधिकारियों से भी इन नियमों के पालन की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए...?

अंत में इन अधिकारियों ने कहा कि उपरोक्त तमाम स्थितियों के मद्देनजर मेम्बर स्टाफ को चाहिए कि दिल्ली में बीसों साल से जमे बैठे सिर्फ आईआरपीएस के ही नहीं बल्कि सभी विभागों के ऐसे सभी अधिकारियों के कार्यकाल की जांच करके उन्हें अविलम्ब दिल्ली से बाहर शिफ्ट करें अन्यथा इस तमाम जोड़-तोड़ और इसकी आड़ में वर्षों से चल रहे इस भ्रष्टाचार की उच्च स्तर पर और व्यक्तिगत रूप से मीमांसा की जाएगी.

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