Monday 11 January, 2010

आईजी/सीएससी/म.रे. द्वारा
आरपीएफ स्टाफ का दुरुपयोग


मुंबई : आईजी/सीएससी/मध्य रेलवे द्वारा पिछले चार महीनों से टाटा हास्पिटल में भर्ती अपने एक पूर्व आईएएस बिरादर की तीमारदारी के लिए दादर एवं माटुंगा के आरपीएफ स्टाफ का दुरुपयोग किया जा रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार म.प्र. कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी गोपालकृष्णन पिछले सितंबर से टाटा मेमोरियल हास्पिटल, परेल में भर्ती होकर कैंसर का इलाज करा रहे हैं. अस्पताल सूत्रों का कहना है कि अब तक उनके करीब 6 आपरेशन हो चुके हैं और अभी उन्हें इतने ही समय तक और अस्पताल में रहना पड़ेगा. इधर गोपालकृष्णन की तीमारदारी के लिए आईजी/सीएससी, म.रे. ने दादर पोस्ट से प्रतिदिन एक वर्दीधारी आरपीएफ जवान और माटुंगा पोस्ट से दो जवानों की बिना वर्दी के अस्पताल में नियुक्त कर रखा है. स्टाफ सूत्रों को कहना है कि जब भी आईजी/सीएससी अस्पताल में गोपालकृष्णन को देखने जाते हैं तो उनके साथ ब्लैक कैट कमांडो तो होते ही हैं, वहां तैनात वर्दीधारी आरपीएफ जवान उनकी नक्शेबाजी झाडऩे के लिए रास्ता साफ करते हुए आगे-आगे चलता है.

अस्पताल सूत्रों का कहना है कि 'इससे अस्पताल के कामकाज में अनावश्यक तनाव एवं अव्यवस्था पैदा होती है. हालांकि श्री गोपालकृष्णन निजी सूट बुक कराकर इलाज करा रहे हैं, मगर कोई भी आईजी/सीएससी इतना बड़ा वीआईपी नहीं हो सकता जो इतने लाव-लश्कर के साथ अस्पताल की दिनचर्या में व्यवधान डाले और एक प्रकार का आतंक या दहशत पैदा करे.'

स्टाफ सूत्रों का कहना है कि टाटा अस्पताल में ड्यूटी पर लगाए गए इन आरपीएफ जवानों की ऑफिशियल ड्यूटी कहीं रिजर्व कंपनी में, तो कभी प्लेटफार्म ड्यूटी पर और कभी बंदोबस्त में लगी दिखाई जाती है और इनसे 12-15 घंटे की ड्यूटी अस्पताल में करवाई जा रही है. स्टाफ का कहना है कि पिछले चार महीनों से लगातार अस्पताल के माहौल में रहने से यह जवान स्वयं बीमार महसूस करने लगे हैं. स्टाफ सूत्रों का कहना है कि श्री गोपालकृष्णन को अस्पताल में खाना पहुंचाने की जिम्मेदारी प्लेटफार्म नं. 1 पर स्थित सीएसटी/एडमिन पोस्ट के आरपीएफ स्टाफ एवं आईपीएफ को सौंपी गई है.

आरपीएफ स्टाफ का कहना है कि जहां एक तरफ स्टाफ की कमी का बहाना बनाकर सभी आरपीएफ सिपाहियों से प्रतिदिन 12-15 घंटे ड्यूटी करवाई जा रही है, वहीं अनधिकृत रूप से और अधिकार का दुरुपयोग करते हुए आईजी /सीएससी द्वारा अपने व्यक्तिगत संबंधों के लिए आरपीएफ स्टाफ का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि शायद बीमार गोपालकृष्णन, जो कि कभी पीएमओ में तैनात रहे बताए जाते हैं, की सिफारिश पर ही यह आईजी/सीएससी अपने पद पर अनधिकृत रूप से और प्रतिनियुक्ति की समय सीमा समाप्त होने तथा इसमें वृद्धि की अपील रेलमंत्री द्वारा अक्टूबर 2009 में रद्द कर दिए जाने के बावजूद अब तक विराजमान हैं. म.रे. आरपीएफ स्टाफ का कहना है कि अब इतनी सारी हदें पार करने के बाद भी यदि डीजी/आरपीएफ में तनिक भी प्रशासनिक शर्मो-हया बाकी बची हो तो इस आईजी/सीएससी को फौरन रेलवे से रुखसत करने और इसके खिलाफ स्टाफ के दुरुपयोग का मामला चलाने पर फौरन विचार करना चाहिए.

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