Monday 11 January, 2010

एएसआई सेलेक्शन में भेदभाव एवं पक्षपात का आरोप

मुंबई : मध्य रेलवे आरपीएफ में वर्तमान अडिय़ल आीजी/सीएससी के रहते जो न हो, वह कम है. अब गत सितंबर-अक्टूबर में हुए सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) के सेलेक्शन में भेदभाव एवं पक्षपात का आरोप लगाया गया है. यहां तक कि इसमें असफल हुए उम्मीदवारों का तो यह भी आरोप है कि इस सेलेक्शन में पास करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार से ढ़ाई-ढ़ाई लाख रु. वसूले गए हैं....?

प्राप्त जानकारी के अनुसार रूल 72 के तहत म.रे. आरपीएफ में करीब 24 एएसआई की वैकेंसी निकाली गई थी, जिनमें सैकड़ों आरपीएफ स्टाफ ने भाग लिया था. परंतु बताते हैं कि आउटडोर-इनडोर परीक्षा नें सिर्फ 14 उम्मीदवारों को ही पास किया गया. इसके बाद साक्षात्कार में भी 4 लोगों को फेल करके मात्र 10 लोगों को पास किया गया. आउट एवं इनडोर में पास हुए 14 में से दो महिला कांस्टेबल भी थीं. इन्हें भी दो जवानों के साथ फाइनल साक्षात्कार में फेल कर दिया गया.

बताते हैं कि फेल की गई दो महिला कांस्टेबल सोनाली मेंडेकर (मुंबई) एवं गोपिका मानकर (नागपुर) दोनों ने इस बारे में आईजी/सीएससी के समक्ष अपनी शिकायत प्रत्यक्ष उनसे मिलकर की थी. बताते हैं कि तब आईजी ने इन दोनों से सीधा सवाल करते हुए यह कहा था कि 'तुमको क्या लगता है कि पास हुए प्रत्येक आदमी से ढ़ाई-ढ़ाई लाख रु. लिए गए हैं.' सूत्रों का कहना है कि इस पर उक्त दोनों महिला कांस्टेबल इस बात पर हामी भर कर इसे सही कहने के बजाय संकोचवश या हिचकिचाहट में सिर्फ इतना ही कह पाई थीं कि 'उनका यह कहना नहीं है कि किसने कितना दिया गा किससे कितना लिया गया, मगर जब वह सब जगह पास थीं, तो उन्हें अंत में फेल क्यों कर दिया गया, यह बात उनकी समझ में नहीं आ रही है.'

इसके बाद आईजी ने उन्हें बिना कुछ कहे अपने चेंबर से रुखसत कर दिया था. परंतु इस सेलेक्शन में पैसा लिए जाने की बात काफी हद तक सही हो सकती है, क्योंकि इसमें कुछ ऐसे उम्मीदवार भी पास किए गए हैं, जो पढऩे- लिखने में लगभग जीरो होने के साथ-साथ जिनकी योग्यता पूरी तरह संदिग्ध बताई गई है. बताते हैं कि इनमें से एक महिला कांस्टेबल का भरपूर फायदा उठाने के बावजूद आईजी के एक खास चहेते आईपीएफ ने उसे पास नहीं करवाया, जिससे वह इससे सख्त नाराज है.

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