Monday 11 January, 2010

प्रतिबंधित 'लीना इलेक्ट्रो मैकेनिकल'
की स्थिति स्पष्ट नहीं....

उसके करीब 35 करोड़ के 'ऑन
गोइंग वर्क ' का क्या होगा...?

मुंबई : इलेक्ट्रिकल कांट्रैक्टर फर्म 'लीना इलेक्ट्रो मैकेनिकल प्रा. लि.' को इसकी पूर्व फर्म 'लीना पावर टेक इंजीनियर्स प्रा. लि.' सहित इससे संबंधित सभी फर्मों को रे.बो. ने फर्जी क्रेडेंशियल देने के आरोप में तीन साल के लिए तुरंत प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया है. इस संबंध में बोर्ड ने दि. 4.12.2009 को पत्र सं. 2009/आरई/240/1 जारी किया है और यह पत्र सभी संबंधित अधिकारियों/विभागों तक पहुंच भी गया है. परंतु फिर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है कि इस फर्म के पास जो करीब 35 करोड़ रु. के जारी कार्य (ऑन गोइंग वर्क) हैं, उनका क्या होगा?

पता चला है कि जिससे वास्तव में यह फर्म संबंधित है और जहां इसके करीब 5-6 बड़े-बड़े टेंडर कार्य जारी हैं, वहीं यानी मध्य रेलवे में अभी तक इस प्रतिबंध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई है, बल्कि बताते हैं कि इस फर्म को पूरा सहयोग दिया जा रहा है. जबकि इसने कई अधिकारियों को अंधेरे में रखकर उनसे अपने फर्जी कागजात सत्यापित करवाकर उन्हें भी मुसीबत में डाला था.

पता चला है कि म.रे. के विद्युत अधिकारी असमंजस में हैं कि क्या किया जाए, जबकि सभी अधिकारियों का निश्चित रूप से यह मानना है कि यदि इस फर्म के ऑन गोइंग वर्क को भी प्रतिबंधित नहीं किया जाता है तो इस पर बोर्ड द्वारा लगाए गए तीन वर्ष के प्रतिबंध का कोई मतलब नहीं रह जाएगा. उनका कहना है कि इस फर्म के पास करीब 5-6 टेंडर हैं, जिनकी कुल लागत करीब 35 करोड़ रुपए की है. मगर इनमें से किसी भी टेंडर का काम अब तक 15-20 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हुआ है, जबकि इन्हें जारी हुए करीब 8 माह हो चुके हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतिबंधित लीना इलेक्ट्रो मैकेनिकल प्रा. लि. के पास फिलहाल 6 ऑन गोइंग वर्क हैं. पहला कार्य इस फर्म के पास मानखुर्द 25 केवी टीएसएस वर्क (एग्रीमेंट नं. सीआर/डीसी-एसी/एल/ डब्ल्यू/ टीएसआई/ एमएनकेडी/टीएसएस/2008/03 दि. 6.4.09) है. इस टेंडर वर्क की कुल लागत 6.50 करोड़ रु. है परंतु इसमें अब तक बमुश्किल 50 लाख का ही काम इस फर्म ने किया है. इसी प्रकार इस फर्म के पास ठाणे- कल्याण सेक्शन में दातीवली-मुंब्रा के बीच 25 केवी एसपी-एसएसपी वर्क (एग्रीमेंट नं. सीआर/डीसी-एसी/एल/डबल्यूबी/टीएसआई/2008/04/एसपी-एसएसपी-टीएनए-केवाईएन, दि. 6.4.409) है. इस टेंडर वर्क की कुल लागत 5.50 करोड़ रु. है. इसमें भी अभी तक मात्र 50 लाख का ही काम हुआ बताया गया है.

इसके बाद तीसरा काम इस फर्म के पास सीनियर डीईई/टीडी, मुंबई का है, जिसके तहत कुर्ला-ठाणे सेक्शन में 500 मीट्रिक टन स्टील स्ट्रक्चर के रिप्लेसमेंट के साथ 242 स्क्वायर एमएम कैटनरी वायर एवं 193 स्क्वायर एमएम कांटैक्ट वायर (6 कि.मी.) की सप्लाई शामिल है. इस टेंडर वर्क की कुल लागत 13 करोड़ रु. है, जबकि इसमें अब तक मात्र 1 करोड़ रु. का काम हुआ है.

सीनियर डीईई/टीडी/कल्याण के तहत इस फर्म को साउथ ईस्ट-1 एवं साउथ ईस्ट-2 सेक्शन में 110 केवी ट्रांसमिशन लाइन नं. 6 का रिहैबिलिटेशन कार्य करना है. इसकी कुल लागत 3.50 करोड़ रु. है. मगर इसमें 1.50 करोड़ रु. का ही काम हुआ है. जबकि एमटीपी के तहत ठाणे-कुर्ला के बीच 5वीं-6वीं लाइन के स्टील स्ट्रक्चर्स का इफ्रिंजमेंट वर्क, कुल लागत 3 करोड़ रु. है और इसी सेक्शन में 2.50 करोड़ रु. की लागत वाला फीड़ंग अरेंजमेंट वर्क भी है. इन दोनों ही में करीब आधा-आधा कार्य अब तक हो पाया है. जबकि कर्जत यार्ड, कर्जत ओएचई कन्वर्जन, परेल, लोनावाला टीएसएस आदि कुछ कार्य काफी हद तक पूरे हो चुके हैं. फिर भी इन सबमें 20-25 प्रतिशत कार्य बकाया होने के साथ ही सभी कार्य फाइनल होने बाकी हैं.

कई विद्युत अधिकारियों का कहना है कि रे.बो. द्वारा प्रतिबंधित लीना इलेक्ट्रो मैकेनिकल प्रा. लि. के उपरोक्त सभी ऑन गोइंग वर्क (टेंडर) अगले कम से कम तीन साल में भी पूरे होने वाले नहीं हैं. ऐसे में रे. बो. द्वारा इस फर्म पर तत्काल प्रभाव से लगाए गए प्रतिबंध का क्या औचित्य अथवा मतलब रह जाता है? यह रे.बो. को स्पष्ट करना चाहिए, जबकि ठेकेदार बिरादरी का मानना हे कि इस प्रतिबंध का मतलब यही है कि फर्म के साथ तत्काल प्रभाव से सारा कार्य व्यवहार रेलवे द्वारा बंद कर दिया जाना चाहिए अन्यथा रे.बो. को बिना कोई लूप होल छोड़े दिशा- निर्देश जारी करने चाहिए.

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