Tuesday 13 December, 2011

निहित उद्देश्य से समीर टोप्पो को अटकाया गया 

कोलकाता : एक अनावश्यक मामले में अटकाकर कुछ निहित उद्देश्य से आदेश होने के बावजूद श्री समीर टोप्पो को डीआरएम/रांची के पद पर ज्वाइन करने के लिए पदमुक्त नहीं किया गया. बल्कि डीआरएम में आदेश के ठीक एक हफ्ते बाद द. पू. रे. विजिलेंस ने उनके खिलाफ एक बोगस मामले, जिससे उनका कोई सम्बन्ध नहीं था, में रेलवे बोर्ड को रिपोर्ट भेजकर एक विजिलेंस केस शुरू कर दिया. जब डीआरएम/रांची के लिए श्री टोप्पो के आदेश (Railway Board's letter no. E(O) III-2011/TR/100(I) dated 07.04.2011) जारी हुए थे, उस समय वह खड़कपुर वर्कशाप में सीडब्ल्यूएम के पद पर कार्यरत थे. इस आदेश के ठीक एक हफ्ते बाद दि. 14.04.2011 को द. पू. रे. विजिलेंस द्वारा रेलवे बोर्ड को विजिलेंस फाइंडिंग रिपोर्ट भेजी गई थी. परन्तु इस एक हफ्ते में श्री टोप्पो ने तत्कालीन जीएम/द.पू.रे. को डीआरएम में ज्वाइन करने के लिए छोड़े जाने हेतु कई बार अनुरोध किया था. मगर उन्हें कैसे छोड़ा जाता, जबकि उनके खिलाफ अन्दर ही अन्दर एक बड़ी साजिश रची जा रही थी. उल्लेखनीय है कि खड़कपुर वर्कशाप में किसी स्टोर्स खरीद के मामले में श्री टोप्पो को शामिल करके उन्हें अटकाया गया है, जिससे उनका अथवा सीडब्ल्यूएम का कोई सम्बन्ध नहीं था. अब पता चला है कि सीवीसी ने उनके खिलाफ न सिर्फ मेजर पेनाल्टी चार्जशीट जारी किए जाने की एडवाइस की है, बल्कि सीबीआई जाँच के लिए भी सिफारिश की है. तथापि, बताते हैं कि सीवीसी की इस एडवाइस के करीब चार-पांच महीने बीत जाने के बाद भी आजतक श्री टोप्पो को न तो कोई चार्जशीट दी गई है, और न उनके खिलाफ सीबीआई ने कोई जाँच ही शुरू की है. पता चला है कि श्री टोप्पो ने इस अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ 'कैट' में मामला दायर किया है, जहाँ रेल प्रशासन यह कहकर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है कि मेजर पेनाल्टी चार्जशीट और सीबीआई जाँच के जारी रहते श्री टोप्पो को डीआरएम में ज्वाइन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. जहाँ एक तरफ विवेक सहाय जैसे महामेनिपुलेटरों को चार-चार विजिलेंस मामले सीवीसी में जाँच के लिए पेंडिंग रहते मेम्बर ट्रैफिक और सीआरबी बना दिया जाता है, वहीँ श्री टोप्पो, श्री दीपक कृष्ण, श्री कुलदीप चतुर्वेदी और श्री राजीव भार्गव जैसे ईमानदार और कर्मठ रेल अधिकारियों को किसी न किसी फालतू मामले में अटकाकर उनका पूरा कैरियर चौपट या बाधित कर दिया जाता है. यहाँ तक कि आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी भी समय पर श्री टोप्पो को रेलवे बोर्ड द्वारा मुहैया नहीं कराई जा रही है. इस सबके बावजूद बताते हैं कि श्री टोप्पो को पूरा भरोसा है कि कोर्ट द्वारा उनके साथ अवश्य न्याय किया जाएगा. 
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