Friday 9 December, 2011


साइडिंग्स में समय की हेराफेरी 

लोडिंग पार्टियों का डेमरेज बचाकर परिचालन 

अधिकारीयों की अवैध कमाई का गोरखधंधा 

चक्रधरपुर : आयरन ओर की लोडिंग से होने वाली 'कमाई' लगभग ख़त्म हो जाने से दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर मंडल की करीबन सभी साइडिंग्स में रेकों के आने और उनके प्लेसमेंट की टाइमिंग्स में हेराफेरी करके अवैध कमाई के नए जरिए निकाल लिए गए हैं. बताते हैं कि इस हेराफेरी में मुख्यालय से लेकर मंडल तक के लगभग सभी सम्बंधित परिचालन अधिकारी शामिल हैं. विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार चक्रधरपुर मंडल की देवझार साइडिंग में दि. 19.08.2011 कि रात 12.05 बजे एक पार्टी का रेक पहुंचा था, जिसका प्लेसमेंट करीब सवा छह घंटे बाद दि. 20.08.2011 कि सुबह 6.20 बजे दिखाया गया था. इसी प्रकार इसी साइडिंग में इसी तारीख को जिंदल का एक रेक 22.25 बजे पहुंचा था, जबकि इस बॉक्स एन रेक को दि. 20.08.2011 की सुबह 4.15 बजे प्लेस दिखाकर लगभग छह घंटे का डेमरेज भरने से पार्टी को बचा लिया गया. इसके अलावा दि. 06.09.2011 को बाराजाम्दा स्टेशन पर कोर मिनरल्स का एक रेक शाम 5.09 बजे पहुंचा था. इसका प्लेसमेंट अगले दिन सुबह 6.09 बजे दर्शाया गया. इस प्रकार पार्टी का करीब 13 घंटे का डेमरेज बचाया गया और रेलवे को इस तरह से लाखों का चूना लगाया गया है. 

मंडल के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि कमोबेस यही स्थिति नोवामुंडी साइडिंग की भी है. सूत्रों का कहना है कि यहाँ भी कई पार्टियों का डेमरेज बचाकर रेलवे को भारी नुकसान पहुँचाया जा रहा है. जिसकी एवज में सम्बंधित परिचालन अधिकारियों की बड़ी मात्रा में अवैध कमाई हो रही है. सूत्रों ने बताया कि लोडिंग पार्टियों का डेमरेज बचाने के लिए ही उनके रेकों के प्लेसमेंट के समय में हेराफेरी करके यह सारा गोरखधंधा चल रहा है. सूत्रों का कहना है कि यह सारा गोरखधंधा यहाँ एक दलाल द्वारा मंडल परिचालन अधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि यह दलाल वरिष्ठ मंडल परिचालन अधिकारी का बहुत करीबी है, जो कि रेड लाइट लगाकर इसके साथ अधिकाँश समय अपने चेंबर में बैठे रहते हैं. बताते हैं कि मंडल परिचालन कार्यालय के ज्यादातर कर्मचारियों को न सिर्फ इस दलाल (एजेंट) को सलाम करना पड़ता है, बल्कि उनका तो यह भी कहना है कि वे तो इस दलाल को ही अब अपना मुख्य मंडल परिचालन अधिकारी मानने लगे हैं, क्योंकि स्टाफ की मनचाही जगह ट्रांसफ़र/पोस्टिंग में भी इस दलाल की प्रमुख भूमिका रहती है. 

इस समबन्ध में नाम न उजागर करने की शर्त पर कुछ असंतुष्ट पार्टियों का कहना है कि चूँकि आयरन ओर लोडिंग की अंधाधुंध अवैध कमाई अब बंद हो गई है, इसलिए पार्टियों का डेमरेज बचाकर और रेलवे को चूना लगाकर सम्बंधित परिचालन अधिकारियों द्वारा अपनी जेबें खूब भरी जा रही हैं. उनका यह भी कहना था कि इसीलिए मंडल की सभी लोडिंग/अनलोडिंग साइडिंग्स में न सिर्फ रेकों के आने और उनके प्लेसमेंट की टाइमिंग्स में भारी हेराफेरी की जा रही है, बल्कि छोटी पार्टियों को रेक न देकर, लोडिंग/अनलोडिंग एवं प्लेसमेंट के लिए परेशान करके उन पर अकारण डेमरेज लगाया जाता है. उनका कहना है कि बड़ी पार्टियों का न सिर्फ डेमरेज बचाया जाता है, बल्कि उनसे प्रति रेक वसूली अलग से की जाती है, जिससे सम्बंधित अधिकार खूब मालामाल हो रहे हैं. 

इस पूरे प्रकरण पर 'रेलवे समाचार' ने सम्बंधित परिचालन अधिकारियों पक्ष जानने की बहुत कोशिश की, मगर उन्होंने काल रिसीव नहीं किया. चक्रधरपुर मंडल के सीनियर डीओएम श्री मनोज कुमार और सीनियर डीसीएम श्री हालदार से जब उनके मोबाइल पर बात करने की सारी कोशिशें विफल रहीं, तब इस सम्बन्ध में मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) श्री अचल खरे को मोबाइल पर बात करके उपरोक्त सारी हेराफेरी की विस्तृत जानकारी देकर उन्हें मामले की गंभीरता से अवगत कराया गया. तत्पश्चात उन्हें एसएमएस से भी सारी जानकारी दी गई. श्री खरे ने यह जानकारी देने के लिए 'रेलवे समाचार' को धन्यवाद् देते हुए कहा कि वे इसकी पूरी छानबीन करवाएँगे, क्योंकि उन्हें इस बारे में फ़िलहाल कोई जानकारी नहीं है. 
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