Friday 17 October, 2008

पूर्व पदाधिकरिगन..... जीतेन्द्र सिंह इंटरव्यू continue...

इसके अलावा दिनांक १९.०२.२००३ को मिस्लेनिअस कैटेगरी को छोड़कर अन्य सभी आर्गेनाइज्द सर्विसेस को लाभ दिया गया, जो की मिस्लेनिअस कैटेगरीजके साथ एक बड़ा अन्याय था, क्योंकि मेरा यह व्यक्तिगत तौर मानना है की उसे छोड़कर इसे स्वीकार ही नहीं किया जाना चाहिए था। यदि ऐसा नहीं किया गया होता तो हम प्रशासन पर ज्यादा प्रेशर बनाये रख सकते थे।
इसके साथ ही मैं यह भी बताना चाहूंगा की जब २५० पोस्टें मिली थीं उस समय तक भी वर्ष १९९९ तक की डीपीसी नहीं हुई थी। यह डीपीसी क्यों डिले हुई थीं, इस बारे में कोई कुछ क्यों नहीं बोल रहा है? मेरे महासचिव बनने के ६ महीने बाद ही फेडरेशन ने सुप्रीम कोर्ट से एस एंड टी विभाग का एक मुक़दमा जीता था, इससे जुड़े लोगों की डीपीसी तो बोर्ड ने ६ महीने बाद ही कर दी थी, मगर उनके बाद के २४६ लोगों का २ से ६ साल की सीनियरटी का नुक्सान हो गया, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
हालांकि एस एंड टी विभाग के ८१ ग्रुप 'ऐ' अधिकारीयों को ६ महीने से लेकर डेढ़ साल तक की सीनियरटी का लाभ मिला, परन्तु इन में से ५४ अफसर तब तक सेवानिवृत्त हो चुके थे, इसलिए उन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिला, सिर्फ़ २७ लोगों को इसका फायदा मिला मगर इन में भी ३ लोग ऐसे भी थे जो ग्रुप 'ऐ' से नीचे रिवर्ट गए थे। इन में से एक की मौत हो चुकी थी, दूसरा सेवानिवृत्त हो गया था और तीसरे ने अपनी इज्जत की खातिर स्वेच्छा सेवानिवृत्ति ले ली थी।
यही नहीं, इन में से ७६ एक्स्ट्रा पोस्टों के नाम पर केवल ६ ग्रुप 'बी' अधिकारीयों को लाभ मिला था। इस प्रक्रिया के समानांतर एस एंड टी विभाग की डीपीसी रुक गई थी, जिससे २६४ अधिकारीयों का २ से ६ साल की सीनियरटी का नुक्सान हो गया। इसलिए व्यक्तिगत तौर पर हमारा तो आज भी यह मानना है की वह मामला कोर्ट में जाना ही नहीं चाहिए था। क्योंकि एक बार कोर्ट की रूलिंग आ जाने के बाद फ़िर कुछ नहीं हो पाटा। इसलिए फेडरेशन ने सर्व सम्मति से यह ऐतिहासिक निर्णय लिया है की इस तरह के मामलों में फेडरेशन अब भविष्य में कभी पार्टी नहीं बनेगी। परन्तु मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की सदस्य अधिकारीगन ऐसा कोई कदम उठाने के लिए सर्वथा स्वतंत्र होंगे। इससे कम से कम फेडरेशन अधिकाँश अधिकारीयों को भविष्य में ऐसे किसी नुक्सान से बचा पाने में सक्षम होगी।
interview continue...........

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