Tuesday, 28 October 2008

चार फेडरेशनों द्वारा लंच का बहिष्कार

नई दिल्ली : शुक्रवार, २४ अक्तूबर को रेलवे बोर्ड में हुई जीएम्स कांफ्रेंस में शामिल हुए चारों फेडरेशनों, नॅशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन रेलवेमेंस ( एनऍफ़आईआर ), आल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन ( ऐआईआरऍफ़ ), आल इंडिया आरपीऍफ़ एसोसियेशन ( ऐआईआरपीऍफ़ऐ ) और इंडियन रेलवे प्रमोटी ऑफिसर्स फेडरेशन ( आईआरपीओऍफ़ ), ने रेल मंत्री के सामने बोलने का मौका न दिए जाने के कारण जीएम्स के साथ लंच का बहिष्कार कर दिया।
रेल प्रशासन के लिए यह एक खतरे की घंटी है क्योंकि बोर्ड के हमारे सूत्रों का कहना है की मंत्री के सामने बोलने का मौका न मिलने का सबसे ज्यादा मलाल दोनों लेबर फेडरेशनों के पदाधिकारियों को हुआ है और उन्होंने अब यह तय कर लिया है की आगे अब प्रशासन को सोच विचार कर सहयोग दिया जाएगा।
इससे रेल प्रशासन के साथ इनके औद्योगिक सम्बन्ध बुरी तरह ख़राब होने का खतरा पैदा हो गया है। सूत्रों का कहना है की इन पदाधिकारियों का कहना था की वे ऐसी कांफ्रेंसों में खाना खाने नहीं बल्कि अपनी बात मंत्री के सामने रखने आते हैं और अगर बोर्ड मेंबर मंत्री से इतना ही घबराते हैं तो उन्हें बुलाना बंद कर दें तथा जिस तरह पिछले चार-साढ़े वर्षों से मत्री को गुमराह करते आ रहे हैं, वैसे ही आगे भी करते रहें। लेबर फेडरेशनों का यह रवैया बिल्कुल वाजिब है क्योंकि वर्त्तमान 'निजाम' में बोर्ड की मनमानी बिल्कुल अपने 'निजाम' की ही तरह है जहाँ हर कोई अपना-अपना सिक्का चला रहा है।
रागिनी येचुरी का साहस
बताते हैं की इसी जीएम्स कांफ्रेंस में फेडरेशन ऑफ़ रेलवे ऑफिसर्स एसोसियेशन ( ऍफ़आरओऐ ) की अध्यक्ष श्रीमती रागिनी येचुरी को भी मंत्री की उपस्थिति में लंच के पहले बोलने का अवसर नहीं दिया गया। सूत्रों का कहना है की लंच बाद के सत्र में उन्होंने ओपन लाइन से ओपन लाइन में जीएम्स के ट्रांसफर का मुद्दा उठाकर लगभग नाराजगी व्यक्त करते हुए पूरे board के समक्ष कहा की वह यह मामला मंत्री के सामने उठाना चाहती थीं मगर उन्हें इसका मौका नहीं दिया गया। सूत्रों का कहना है की shrimati yechuri ने इसे एक ग़लत परम्परा की शुरुआत की संज्ञा दी है। श्रीमती येचुरी के इस साहस को देखकर पूरा बोर्ड सकते में है और सीआरबी को इस पर कुछ कहते नहीं बन रहा है। सूत्रों का कहना है की श्रीमती येचुरी ने अपनी यह बात कुछ इस तरह से कही थी की उससे यह मेसेज चला गया है की जिन लोगों को ओपन लाइन से ओपन लाइन में ट्रांसफर किए जाने का प्रस्ताव है, न सिर्फ़ उनका फेवर किया जा रहा है बल्कि इस मामले में करोड़ों का भारी भ्रष्टाचार होने की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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