Friday 21 October, 2011

बड़े बेआबरू होकर निकाले तेरे कूचे से हम...

पुरुषोत्तम गुहा ने डीआरएम का पद छोड़ा 

कोलकाता : श्री पुरुषोत्तम कुमार गुहा ने डीआरएम/सियालदह का पदभार छोड़ने का निर्णय ले लिया है. पता चला है कि सोमवार, 24 अक्तूबर को वह अपना कार्यभार छोड़ रहें हैं. हालाँकि पहले यह खबर थी कि 'दीवाली वसूली' के बाद वह अपना पदभार 31 अक्तूबर को छोड़ेंगे, इसीलिए उनकी विदाई पार्टी 29 अक्तूबर को आफिसर्स क्लब में रखी गई थी. मगर इस बीच उनकी तमाम काली करतूतों का भंडाफोड़ हो जाने से अब उन्होंने अपनी 'दीवाली वसूली' के कार्यक्रम को स्थगित करके अपना पदभार छोड़ने का निर्णय लिया है. सूत्रों का कहना है कि फ़िलहाल यह तो पता नहीं चल पाया है कि श्री गुहा कहाँ जा रहें हैं, मगर उनकी पोस्टिंग दिल्ली में होना तय माना जा रहा है, परन्तु अब उ. रे. में उन्हें एसडीजीएम बनाया जाएगा, इस पर संदेह पैदा हो गया है. 

पता चला है कि बदनाम बंगला नंबर २१० में डीआरएम, सीनियर डीएफएम, सीनियर डीईएन/समन्वय और सीनियर डीएसओ कई बार रात को अक्सर अय्याशी के लिए जाते थे. जहाँ शराब और शबाब मंगाने का आदेश आफिसर्स क्लब के केयर टेकर को दिया जाता था. बताते हैं कि यह केयर टेकर आफिसर्स क्लब के पैसे से उनके लिए इन बताई गई 'वस्तुओं' का इंतजाम करता था. सूत्रों का कहना है कि इन लोगों की इस अय्याशी के चलते आफिसर्स क्लब के करीब 3.80 लाख रु. खर्च हो गए और इस पर जब क्लब के सदस्य अफसरों में बवाल मचा तो इस पैसे के गबन का आरोप उक्त केयर टेकर पर मढ़ दिया गया. बताते हैं कि इस बारे में डीआरएम श्री गुहा ने अपने चेंबर में उक्त केयर टेकर और उसकी माँ को बुलाकर बहुत डराया-धमकाया और उनसे तुरंत 3.80 लाख रु भरने को कहा, वरना जेल भेजने की भी धमकी दी. बताते हैं कि दोनों माँ-बेटे डीआरएम की इस प्रताड़ना से इतना ज्यादा सहम गए कि चेंबर से निकलने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. उल्लेखनीय है कि यह केयर टेकर पिछले लगभग 12-13 साल से रेलवे में भर्ती हो जाने के लालच में आफिसर्स क्लब में अस्थाई तौर पर काम कर रहा था. 

पता चला है कि आफिसर्स क्लब के सचिव सीनियर डीएफएम हैं. सूत्रों का कहना है कि आफिसर्स क्लब के इस 'घोटाले' की भरपाई करने के लिए सचिव महोदय ने डीआरएम की सहमति से एक नोट निकाला कि मंडल के प्रत्येक अधिकारी के वेतन से प्रतिमाह 100 रु. क्लब के लिए काटे जाएँगे. इस पर फिर से मंडल अधिकारियों में बवाल मचा और कई अधिकारियों ने यह कंट्रीब्यूशन देने से मना कर दिया, जिससे क्लब के घोटाले की भरपाई करने की सचिव महोदय की 'योजना' विफल हो गई और क्लब के 3.80 लाख रु. कि भरपाई अबतक भी नहीं हो पाई है. उधर उक्त केयर टेकर 'तृणमूल' का कार्यकर्ता निकला. उसने कुछ स्थानीय नेताओं को यह बात बताई, तो एक दिन करीब 20-25 तृणमूल कार्यकर्ता सीनियर डीएफएम उर्फ़ सचिव महोदय के चेंबर में घुस गए और उन्हें अपनी अय्याशी में उड़ाए गए क्लब के 3.80 लाख रु. के लिए केयर टेकर को जिम्मेदार ठहराने हेतु उनकी खूब जमकर लानत-मलामत कर दी. अब इस 'क्लब घोटाले' के लिए भी मंडल के सभी अधिकारी डीआरएम और उक्त तीनो अफसरों की अय्याशी को ही जिम्मेदार मान रहें हैं. 

इसके अलावा यह भी पता चला है कि सीनियर डीसीएम श्री अनिल कुमार ने जिन-जिन वाणिज्य कर्मचारियों को काम के प्रति लापरवाही, लम्बी गैरहाजिरी और रेलवे कैश का व्यक्तिगत और गैर इस्तेमाल करने के लिए मेजर पेनाल्टी चार्जशीट (एसएफ-5) दी थी, उन सबको माइनर पेनाल्टी चार्जशीट (एसएफ-11) में बदल देने का आदेश दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि यह लिखित नहीं बल्कि मुंहजबानी आदेश वर्तमान सीनियर डीसीएम श्री आर. के. सिंह ने डीआरएम श्री गुहा की सहमति से दिया है. बताते हैं कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि जब कभी इसकी जाँच हो, तो इनमे से कोई अधिकारी नहीं बल्कि सम्बंधित डीलिंग क्लर्क फंसेगा. बताते हैं कि डीआरएम की सबसे 'प्रिय' दक्षिणेश्वर स्टेशन की महिला बुकिंग क्लर्क को जब श्री अनिल कुमार ने ड्यूटी न करने, ड्यूटी से अक्सर गायब रहने और ड्यूटी पर लेट आने एवं जल्दी चले जाने के लिए एसएफ-5 दी थी और निलंबित कर दिया था, तब डीआरएम ने उनसे अपने चेंबर में हाथ जोड़कर माफ़ी मांगते हुए उनसे उसका निलंबन ख़त्म करने का अनुरोध किया था. 

बताते हैं कि 'रेलवे समाचार' में सारी काली-करतूतों का पर्दाफास हो जाने से डीआरएम श्री गुहा बहुत परेशान हो गए हैं. इसीलिए उन्होंने जल्दी चार्ज छोड़ देने का फैसला किया है. सूत्रों ने इस बात का भी खुलासा किया है कि उनके तथाकथित कल्चरल ग्रुप में शामिल रही दो-तीन महिला कर्मियों ने डीआरएम की इन तमाम करतूतों के बारे में 'मेमसाहेब' को काफी पहले फोन पर दिल्ली में सूचित किया था. उनका कहना है कि श्री गुहा के कार्य-कलापों पर मेमसाहेब को पहले भी संदेह था, मगर अब सब कुछ खुलकर सामने आ जाने से वह उन्हें मुंह दिखाने लायक नहीं रह गए हैं. इनमे से दो महिला कर्मियों ने 'रेलवे समाचार' से मेमसाहेब को सूचित किए जाने की इस बात को स्वीकार करते हुए डीआरएम और उपरोक्त तीनो ब्रांच अफसरों की अय्याशी की भी पुष्टि की है. उन्होंने इसके अलावा भी इनके द्वारा की गई अन्य तमाम अनियमितताओं के बारे में भी बहुत सारी जानकारी दी है, जिसे डीआरएम के चार्ज छोड़ने के बाद उन्होंने विस्तार से बताने का वादा किया है...!! 

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