Friday 7 October, 2011


डेढ़ साल बाद आखिर मेम्बर ट्रैफिक के पद पर के. के. श्रीवास्तव की नियुक्ति 

नयी दिल्ली : एक मई 2010 से खाली मेम्बर ट्रैफिक की पोस्ट पर आखिर डेढ़ साल बाद शुक्रवार, 7 अक्तूबर को श्री के. के. श्रीवास्तव की पोस्टिंग हो गई. श्री श्रीवास्तव पिछले करीब एक साल से पू. म. रे. के महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत थे. उनका समस्त कार्यकाल विवादरहित रहा है. श्री श्रीवास्तव पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक एवं पूर्व मध्य रेलवे के सीसीएम सहित ट्रैफिक एवं कमर्शियल दोनों विभागों के लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं. श्री श्रीवास्तव को ट्रैफिक मूवमेंट का गहन अनुभव प्राप्त है और उम्मीद की जाती है कि उनके नेतृत्व में माल ट्रैफिक और माल लोडिंग में पर्याप्त वृद्धि होगी. इसके अलावा श्री श्रीवास्तव से यह भी उम्मीद की जाती है कि वह 'विषधर' की छाया से मुक्त होकर काम करेंगे और उनके द्वारा अपने कार्यकाल में रेलवे बोर्ड सहित जोनल रेलों में बैठाए गए उनके 'ट्रैफिक मोहरों' को उनकी यथोचित जगह दिखाएंगे. हालाँकि श्री श्रीवास्तव को ट्रैफिक निदेशालय की राजनीति की बखूबी जानकारी और उसका पर्याप्त ज्ञान है, परन्तु माना जाता है कि वह जब तक वहां अपने विश्वसनीय अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करेंगे, तब तक वह अपने मन-मुताबिक परिणाम प्राप्त नहीं कर पाएँगे. 

उल्लेखनीय है कि सन 2008 से सन 2011 तक भारतीय रेल में जो आयरन ओर घोटाला चला वह 'विषधर' और उनके पूर्ववर्ती की देख-रेख में चला था, और यदि सीबीआई ने इस मामले की वास्तविक और गहरी छानबीन की, तो इस आयरन ओर घोटाले के तार पिछले करीब डेढ़ साल तक जानबूझकर मेम्बर ट्रैफिक की पोस्ट को खाली रखे जाने से अवश्य जुड़ जाएँगे. ऐसा रेलवे बोर्ड के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है. पता चला है कि एक कंपनी पर तो सैकड़ों करोड़ का जुर्माना लगा दिया गया है, जबकि ऐसी 10-12 कंपनियों की सूची और तैयार की जा रही है, जिन पर अभी हजारों करोड़ का जुर्माना लगाया जाना है. बताया जाता है कि सीवीसी ने इस महाघोटाले की जाँच सीबीआई को सौंपने के साथ ही खुद भी इसकी गहन छानबीन शुरू कर दी है. 

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