Saturday 11 June, 2011


विवेक सहाय की विदाई 

होनी चाहिए या नहीं - एक रायशुमारी 

प्रिय रेल मित्रो,
आप सबको अब यह भली-भांति मालूम है कि भारतीय रेल इतिहास के अब तक के सबसे बड़े मेनिपुलेटर और तथाकथित ईमानदार, मगर सोच एवं कर्म से बेईमान, श्री विवेक सहाय इसी 30 जून को अंततः सेवानिवृत्त हो रहे हैं. जैसा कि अब सभी रेल अधिकारियों और कर्मचारियों को बखूबी ज्ञात है कि श्री सहाय ने रेल व्यवस्था को जितना नुकसान पहुँचाया है उतना आजतक शायद किसी ने भी नहीं पहुँचाया होगा और जैसी गलत परम्पराएं कायम की हैं वैसी शायद आजतक किसी ने नहीं की होंगी.. चार-चार विजिलेंस केस लंबित होने के बावजूद पहले मेम्बर ट्रैफिक और फिर चेयरमैन रेलवे बोर्ड बन गए, फिर भी मेम्बर ट्रैफिक की पोस्ट को खाली नहीं किया, जिससे कुलदीप चतुर्वेदी और दीपक कृष्ण जैसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ रेल अधिकारियों का हक़ मारा गया. यही नहीं, कुछ खास बिरादरी भाईयों को लगातार उपकृत करके अन्य तमाम अधिकारियों का शोषण और उत्पीड़न भी किया. 

उपरोक्त पृष्ठभूमि में 'रेलवे समाचार' 14 लाख रेल कर्मचारियों से यह रायशुमारी करना चाहता है कि श्री सहाय क्या वास्तव में इस लायक हैं? उनको क्या वास्तव में सम्मानजनक विदाई दी जानी चाहिए? क्या वह वास्तव में इस तरह की विदाई के हक़दार हैं? यदि वास्तव में ही ऐसा है, तो रेल कर्मचारी उन्हें कैसी और किस तरह की विदाई देना चाहेंगे? सर्व-सामान्य रेल कर्मचारी उनके बारे में क्या सोचते हैं? उनके बारे में उनकी स्पष्ट राय क्या है? हालांकि हमें मालूम है कि पूरी भारतीय रेल में आज इस व्यक्ति के लिए किसी भी कर्मचारी या अधिकारी के मन में कोई भी श्रद्धा नहीं है, तथापि हमारे यहाँ कि संस्कृति के अनुसार मरते या जाते हुए व्यक्ति के प्रति परम्परावश अथवा औपचारिकतावश अपनी सारी घृणा को छिपाकर कुछ अच्छे शब्द बोल ही दिए जाते हैं. इस परंपरा का निर्वाह और कोई करे या न करे मगर विभागीय अधिकारी तो करते ही हैं. 

हमारी राय में तो श्री सहाय ने जिस तरह अपने निजी हित में सारी व्यवस्था का इस्तेमाल किया है, जिस तरह दूसरे योग्य अधिकारियों का हक़ छीना है, जिस तरह कुछ अधिकारियों को उपकृत करके ज्यादातर अधिकारियों का उत्पीड़न किया है, और जिस तरह सारी व्यवस्था को नुकसान पहुँचाया है, उसे देखते हुए उन्हें किसी भी प्रकार की विदाई अथवा सम्मान नहीं दिया जाना चाहिए, और जो लोग ऐसा करेंगे, हम उनका विरोध भी करेंगे. बल्कि हमारी राय में तो डीजी/आरपीएफ की तरह ही उन्हें भी चार्ज सौंपने के बाद बिना किसी औपचारिकता के बाहर का दरवाजा दिखा दिया जाना चाहिए. अब रेल कर्मचारी और अधिकारी क्या करना चाहते हैं, कैसे करना चाहते हैं, यह उन्हें तय करना है.. 

रेल अधिकारी और कर्मचारी अपनी राय हमें Email - railwaysamachar@gmail.com पर अथवा हमारे Blog - http/:saveindianrailways.blogspot.com पर भेज सकते हैं, जो लोग चाहते होंगे कि उनकी राय उनके नाम के साथ प्रकाशित हो, उसे वैसे ही प्रकाशित किया जाएगा और जो लोग नहीं चाहते हैं कि उनका नाम सामने आए, तो ऐसे लोगों की पहचान सर्वथा गोपनीय रखी जाएगी. 
--
Regards
Suresh Tripathi
Editor
Railway Samachar
Contact- 09869256875

No comments: