Monday 2 April, 2012


उत्तरदायित्वविहीन जिम्मेदारी का निर्वाह 

नहीं किया जा सकता है - यू. एस. झा 

एआईआरपीएफए का महाधिवेशन संपन्न 
एस. आर. रेड्डी बने राष्ट्रीय अध्यक्ष  

नई दिल्ली : आल इंडिया रेल सुरक्षा बल संगठन (एआईआर पीएफए) का तीन दिवसीय 19 वां वार्षिक  महा-अधिवेशन 22 से 24 मार्च को आरपीएसएफ ग्राउंड, शकूर बस्ती, नई दिल्ली में संपन्न हुआ. इस अवसर पर उदघाटन सत्र में मंच पर आरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) श्री प्रदीप कुमार मेहता सहित आरपीएफ के सभी अधिकारी विशेष रूप से उपस्थित थे. सभा की अध्यक्षता संगठन के अध्यक्ष श्री के. कलईअरसन ने की. संगठन के महासचिव श्री यू. एस. झा ने डीजी श्री प्रदीप कुमार मेहता का माला पहनकर, शाल ओढाकर और प्रतीक चिन्ह देकर विशेष सम्मान किया. इस अवसर पर एनएफआईआर के महासचिव श्री एम. राघवैया, एआईआरएफ  के महामंत्री कामरेड शिवगोपाल मिश्रा, आईआरपीओएफ के महासचिव श्री जीतेन्द्र सिंह सहित रेल सुरक्षा बल संगठन के कोषाध्यक्ष श्री धरमवीर सिंह, उपाध्यक्ष श्री बिश्नोई, श्री विजय सिंह, म. रे. से श्री एस. आर. रेड्डी, प. रे. से श्री भगवत शर्मा, द. पू. रे. से श्री प्रमोद कुमार, पू. उ. रे. से श्री ए. के. तिवारी, उ. प. रे. से श्री के. एल. बिश्नोई, पू. म. रे. से श्री संजय सिंह, एन. एफ. आर. से श्री सुदीप भट्टाचार्य, उ. म. रे. से श्री ओमप्रकाश आदि सहित देश भर से आए करीब पांच हजार आरपीएफ जवान उपस्थित थे. 

रेल सुरक्षा बल संगठन का यह 19 वां महाअधिवेशन एक अत्यंत उत्साहजनक माहौल में हो रहा था, क्योंकि एक तो यह करीब दो साल बाद हो रहा था और दूसरे सभी आरपीएफ जवानो में श्री यू. एस. झा के महासचिव बने रहने और तत्संबंधी आदेश रेल प्रशासन द्वारा जारी कर दिए जाने से भारी उत्साह भी था. हालाँकि आरपीएफ जवानो में इस उत्साह की शुरुआत पूर्व महाभ्रष्ट डीजी रंजीत सिन्हा की रेलवे से वापसी से ही हो गई थी. इस बार आरपीएफ जवानो में उत्साह का एक कारण यह भी था कि वर्तमान डीजी श्री मेहता न सिर्फ ईमानदार हैं, बल्कि उन्होंने डीजी पद पर आने के बाद से विभिन्न जोनो में प्रताड़ित किए गए जवानो के दर्द को समझा और तदनुरूप निर्णय भी लिया. इसके अलावा महाअधिवेशन के समय मंच पर उपस्थित रहकर उन्होंने जो दो टूक बात कही वह जवानो में एक नई ऊर्जा का संचार कर गई. श्री मेहता ने अपने संबोधन में कहा कि वे आरपीएफ के प्रत्येक कामकाज में शत-प्रतिशत पारदर्शिता चाहते हैं. श्री मेहता की इस एक बात ने जवानो में उनके प्रति समर्पण बढ़ा दिया है, क्योंकि उनका कहना था कि डीजी साहब की इस एक बात के अमल में आने से ही फ़ोर्स में भ्रष्टाचार पर पर्याप्त लगाम लग जाएगी. 

श्री राघवैया, श्री शिवगोपाल मिश्रा, श्री जीतेन्द्र सिंह ने भी सभा को संबोधित किया और इस बात को विशेष रूप से रेखांकित किया कि रेलवे में एक ही यूनिफाइड फ़ोर्स होनी चाहिए. उन्होंने आरपीएफ संशोधन विधेयक पर कुछ राज्यों द्वारा विरोध जताए जाने को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और रेलवे में सर्वाधिकार संपन्न  सिर्फ एक ही सुरक्षा बल प्रतिष्ठापित किए जाने की मांग भी की. श्री यू. एस. झा सहित सभी जोनो के वक्ताओं ने सेवानिवृत्ति के बाद श्री झा को लगातार महासचिव पद पर बनाए रखने हेतु किए गए सभी अथक प्रयासों के लिए श्री राघवैया और श्री शिवगोपाल मिश्रा का आभार व्यक्त किया. श्री झा ने अपने लम्बे संबोधन में संसद में प्रस्तावित आरपीएफ संशोधन विधेयक पर राज्यों द्वारा किए गए ऐतराज का खुलासा किया कि क्यों कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने यह ऐतराज जताया. उन्होंने कहा कि इसके पीछे भी आईपीएस लाबी की ही कारस्तानी है. उन्होंने आरपीएफ जवानो से बहुत सतर्क रहकर अपनी जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया. 

श्री झा ने उपस्थित आरपीएफ जवानो को प्रस्तावित संशोधन विधेयक का पूरा मर्म भी समझाया और कहा कि उत्तरदायित्वविहीन जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि रेल का नुकसान राज्यों के दायरे में होता है, उसकी भरपाई रेल को करनी पड़ती है. ट्रेस पासिंग राज्यों के दायरे में होती है, तथापि इसमें मारने वालों को मुआवजे की भरपाई रेलवे करती है. यहाँ तक कि शहर पुलिस की सीमा में होने वाली मौतों के मामले में मृत लोगों के शारीर रेलवे ट्रेक पर डालकर उनका मुआवजा भी रेलवे से क्लेम किए जाने का एक बड़ा गोरखधंधा चलाया जा रहा है, जिससे रेलवे को सालाना करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह सब राज्यों की पुलिस की उत्तरदायित्वविहीनता के कारण हो रहा है. क्योंकि होने रहे नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार (रेलवे) को करनी पड़ रही है. इसलिए राज्यों की पुलिस अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं निभाती है. उन्होंने कहा कि यदि नुकसान की यह भरपाई राज्यों को करने की जिम्मेदारी सौंप दी जाए तो राज्यों की पुलिस जिम्मेदार हो जाएगी. उन्होंने रेलवे में सर्वाधिकार संपन्न एक ही यूनिफाइड फ़ोर्स रखे जाने के सम्बन्ध में न सिर्फ तमाम अकाट्य तर्क प्रस्तुत किए, बल्कि अन्य सभी देशों में इस प्रकार की व्यवस्था काफी पहले से लागू होने के उदाहरण भी दिए. 

श्री झा ने कहा कि डीजी साहब ईमानदार हैं और इसीलिए वह उनका बहुत सम्मान करते हैं. उन्होंने उपस्थित जवानो को बताया कि डीजी साहब ने आश्वाशन दिया है कि पिछली पीएनएम में हुए समझौतों की जल्दी ही समीक्षा करके सभी निर्णयों को लागू किया जाएगा. इसमें आरपीएसएफ की 14 बटालियनो में से आठ बटालियनो को जोनो के साथ मर्ज किए जाने का निर्णय भी है, इस पर शीघ्र अमल किए जाने का अनुरोध डीजी साहब से संगठन द्वारा भी किया गया है, इससे आरपीएसएफ के जवानो को भी काफी राहत मिलेगी. इसके अलावा श्री झा ने सभी आरपीएफ जवानो को अपनी जिम्मेदारी और ड्यूटी के प्रति समर्पित रहते हुए 'बाहरी आईपीएस' की अपेक्षा 'भीतरी आईपीएस' से भी पर्याप्त रूप से सावधान रहने को कहा. उन्होंने कहा कि अब ऐसा लगने लगा है कि इन भीतरी आईपीएस को भी बाहरी आईपीएस वाली खुमारी चढ़ने लगी है. श्री झा सहित सभी वक्ताओं ने तमाम विसंगतियों, अत्याचार, भ्रष्टाचार और उत्पीड़न से निजात पाने के लिए सभी आरपीएफ जवानो से एकजुट होने और संगठन के साथ जुड़े रहने की अपील की. 

म. रे. सहित अन्य सभी जोनो में प्रशासन द्वारा उत्पीड़ित और सभी नियमो को नजरअंदाज करके नौकरी से निकाले गए लगभग सभी जवानो को धीरे-धीरे नौकरी पर वापस लिया जा रहा है. ऐसे सभी लोगों की एसोसिएशन द्वारा यथासंभव मदद भी की जा रही है. इस सन्दर्भ में श्री झा और श्री धरमवीर सिंह तथा श्री बिश्नोई द्वारा किए गए आह्वान पर सभा में उपस्थित जवानो ने करीब पांच साल से नौकरी से बाहर रहे म. रे. के श्री दिनेश चंद पाण्डेय को लगभग 48 हजार रुपये की मदद की. जबकि श्री धरमवीर द्वारा जब पढ़ने-लिखने की अपील की गई तो सभी जोनो और डिवीजनो के कुल मिलाकर करीब 100 आरपीएफ जवानो ने 'रेलवे समाचार' की आजीवन सदस्यता भी ग्रहण की. सभा के तीसरे और अंतिम दिन हुए चुनाव में श्री एस. आर. रेड्डी को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष और श्री यू. एस. झा को राष्ट्रीय महासचिव चुना गया. इस सभा में बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त आरपीएफ अधिकारी भी उपस्थित थे.
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