Wednesday 10 February, 2010

ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन द्वारा
'रेल यात्रियों, उनके सामानों और रेल संपत्ति
की सुरक्षा' विषय पर आयोजित सेमिनार संपन्न

एक ही रेल सुरक्षा बल हो और
उसका उत्तरदायित्व तय हो....

मुंबई : ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन मध्य एवं पश्चिम रेलवे द्वारा 'रेल यात्रियों, उनके सामानों और रेल संपित्त की सुरक्षा' विषय पर आयोजित सेमिनार 2 फरवरी को सीएसटी ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ. सेमिनार की
अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री ए. कलईअरसन ने की. इस अवसर पर सर्वप्रथम 26/11 को सीएसटी पर हुए आतंकवादी हमले में मारे गए पुलिस एवं आरपीएफ कर्मियों सहित रेल यात्रियों को श्रद्धासुमन अर्पित करके श्रद्धांजलि दी गई. सेमिनार में आरपीएफ एसोसिएशन के महासचिव श्री यू. एस. झा सीआरएमएस के अध्यक्ष एनएफआईआर के कार्याध्यक्ष श्री आर. पी. भटनागर, मंडल सचिव श्री एस. ए. सिद्दीकी, एनआरएमयू के महासचिव कॉ. पी. आर. मेनन, एआईआरएफ और डब्ल्यूआरईयू के कोषाध्यक्ष कॉ. जे. आर. भोसले, डब्ल्यूआरएमएस के मंडल सचिव श्री अजय सिंह, 'अग्नि' के शरद कुमार शाह, मुंबई रेल प्रवासी संघ के अध्यक्ष श्री मधु कोटियन, मुंबई-पुणे रेल प्रवासी संघ केअध्यक्ष हेमंत तावड़े, रेल परिषद के अध्यक्ष श्री विपिन गांधी, उपनगरीय रेल यात्री एसोसिएशन के श्री समीर झवेरी, वरिष्ठ अधिवक्ता डी. एम. आरेकर, मुंबई उपनगरीय प्रवासी महासंघ के श्री मनोहर शेलार, यात्री प्रवास आंदोलन के श्री शैलेंद्र कांबले, उत्तर भारतीय विकास परिषद के श्री मुन्ना त्रिपाठी सहित सांसद श्री कमल किशोर, सांसद श्री मोहन रावले और दिल्ली से आरपीएफ एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष श्री धरमवीर सिंह और कार्यालय सचिव श्री बिश्नोई आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे.

इस अवसर पर यात्री संघों के पदाधिकारी सर्वश्री मनोहर शेलार, शैलेंद्र कांबले, विपिन गांधी ने पहले सत्र में अपने विचार रखे. तीनों वक्ताओं ने मुंबई में ज्यादातर यात्रियों को होने वाली परेशानियों के बारे में बताया. श्री शेलार ने जहां लोकल से भीड़ के कारण गिरकर मरने वाले यात्रियों को रेलवे की तरफ से कुछ मुआवजा दिए जाने की बात कही, वहीं श्री कांबले ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे में यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मदारी किसी एक ही सुरक्षा एजेंसी के पास होनी चाहिए. श्री गांधी ने उनके द्वारा यात्रियों की सुविधा के लिए किए जा रहे कार्यों का ब्यौरा दिया और रेल अधिकारियों एवं यूनियन पदाधिकारियों को उसे देखने के लिए आमंत्रित किया.

तत्पश्चात एनआरएमयू के महासचिव कॉ. पी. आर. मेनन ने कहा कि विषय काफी गंभीर है और इस सवाल पर गंभीरता से विचार करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान यात्रियों के सामान की चोरी, लूट, डकैती का मामला कानून-व्यवस्था से जुड़ा है. इस पर बहुत ज्यादा फोर्स लगा देना कोई समाधान नहीं है, क्योंकि यह मामला देश की बेरोजगारी से भी जुड़ा हुआ है.

रेलवे में दो सुरक्षा एजेंसी होना एक बड़ा दुर्भाग्य है. मेरे विचार से यहां एक ही सुरक्षा एजेंसी होनी चाहिए, जिससे किसी एक की ही जिम्मेदारी तय की जा सके. मेरा मानना है कि आरपीएफ इसमें पूरी तरह सक्षम है, इसमें काफी वैकेंसी भी हैं और मेरा मानना है कि आरपीएफ के अधिकांश जवान पूरी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करते हैं. रेल यात्रियों को भी ज्यादा नकदी या गहने लेकर यात्रा नहीं करनी चाहिए और उन्हें खुद भी अपनी सुरक्षा के प्रति सावधान रहना चाहिए.

सीआरएमएस के अध्यक्ष एवं एनएफआईआर के कार्याध्यक्ष श्री आर. पी. भटनागर ने इस गंभीर विषय पर चर्चा आयोजित करने के लिए आरपीएफ एसोसिएशन को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि उनका ऐसा मानना है कि रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को सावधानी बरतने की उद्घोषणाएं होती रहती हैं, तथापि रेलवे के जनसंपर्क विभाग को इस पर और ज्यादा ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि कानून बनाकर जिम्मेदारी तो बढ़ा दी, मगर उसी अनुपात में आरपीएफ की संख्या नहीं बढ़ाई जबकि उसका कार्यक्षेत्र काफी विस्तृत कर दिया गया है. यह एकमात्र विभाग है रेलवे का जो 24 घंटे कार्यरत रहता है. इस सेमिनार में जो सुझाव और विचार आ रहे हैं, वह अत्यंत गंभीर हैं. उन पर उच्च स्तर पर रखकर गंभीर विचार होना चाहिए. हम सभी पांचों फेडरेशन मिलकर यह मामला सरकार के समक्ष उठाएं और ज्यादा फंड एलॉट कराएं और आरपीएफ की संख्या बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि आरपीएफ जिम्मेदारी लेने में पूरी तरह सक्षम है.

इसके लिए सीआरएमएस और एनएफआईआर हर तरह से आरपीएफ एसोसिएशन के साथ हैं. इस दरम्यान बहराइच से आए सांसद श्री कमल किशोर और मुंबई से शिवसेना के पूर्व सांसद श्री मोहन रावले के आने पर आरपीएफ एसोसिएशन के महासचिव श्री यू. एस. झा ने सेमिनार के विषय से संबंधित उद्देश्य से मंच पर उपस्थित
गणमान्य अतिथियों/वक्ताओं/सांसदों और श्रोताओं को अवगत कराया.

श्री झा ने कहा कि जीआरपी-आरपीएफ का समन्वय कैसे हो, यह विचार का विषय है. उन्होंने कहा कि इन दोनों सुरक्षा बलों में से कोई एक ही रेलवे यात्रियों की सुरक्षा में रहे, इस पर भी विचार किया जाना चाहिए. परंतु पिछले 150 सालों में यह समन्वय नहीं हो पाया है. मलिक कमेटी ने साफ कहा था कि असमानता के बीच कभी समन्वय नहीं हो सकता. यह सही है क्योंकि जीआरपी सभी तरह से संपन्न है जबकि आरपीएफ हर तरह से विपन्न है और फिर समन्वय क्यों, क्या कोई व्यवस्था दोहरे कंट्रोल में चल सकती है. कतई नहीं. संविधान और कानून क्या कहता है, यदि इसे समझ लिया जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है. यह विषय केंद्र की संघीय सूची का है. रेलवे राज्य का नहीं केंद्र का विषय है. रेलवे यात्रियों से भाड़ा लेती है, तो उसकी सुरक्षा व्यवस्था और दुर्घटना की स्थिति में मुआवजा देना पड़ता है. रेल मंत्रालय इसके लिए नोडल मंत्रालय है. रेल भारत की जीवन रेखा है, यह भारतीय अर्थव्यवस्था की मेरुदंड है, यदि रेल डैमेज होगी तो भारत की जीवन रेखा और अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी. पूरे देश में अधिकारी के पास पावर (अधिकार) तो बहुत ज्यादा हैं मगर उसकी एकाउंटेबिलिटी रेस्पांसिबिलिटी (उत्तरदायित्व/जवाबदेही) कुछ भी नहीं है. यही इस देश में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा कारण है. यदि देश और व्यवस्था को बचाना है तो सबसे पहले अधिकारी का उत्तरदायित्व/जवाबदेही तय होनी चाहिए.

सांसद कमल किशोर ने बड़ी बेबाकी से कहा कि रेलवे में दोहरी सुरक्षा व्यवस्था खत्म की जाए और यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसी भी एक ही सुरक्षा एजेंसी को दी जाए. यह जिम्मेदारी आरपीएफ को दी जाए. उन्होंने कहा कि वे इस मसले को शीघ्र ही संसद में उठाएंगे. पूर्व सांसद श्री मोहन रावले ने अपने वक्तव्य की शुरुआत ही में यह कहा कि श्री यू. एस. झा को तो वास्तव में संसद में होना चाहिए. आगे उन्होंने 26/11 की आतंकी घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि उस हमले के समय मुंबई की किसी भी सुरक्षा एजेंसी के बीच आपस में कोई समन्वय नहीं था. ऐसी अफरातफरी थी. उन्होंने कहा कि आरपीएफ को भी आतंकी हमले के दौरान उससे निपटने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आपरीएफ की सभी समस्याओं को वह सुलझाने में अपना पूरा सहयोग देंगे. श्री रावले ने कहा कि उन्हें अभी यह मालूम हुआ है कि जहां (सीएसटी में) सबसे ज्यादा लोग 26/11 के आतंकी हमले में मारे गए, वहां इन हमलों की जांच के लिए गठित की गई राम प्रधान कमेटी ने इसकी जांच नहीं की. इस मुद्दे पर वह राज्य सरकार से बात करेंगे और पुन: जांच करवाएंगे. उन्होंने कहा कि वे श्री झा से बहुत प्रभावित हुए हैं. आप हमारे पिता समान हैं. जब तक आप जैसे जुझारू लोग इस देश में हैं, तब तक यह देश सुरक्षित रहेगा. उन्होंने कहा कि वे कोशिश करेगे कि श्री झा को राज्यसभा में भेजा जाए. उन्होंने कहा कि वे आरपीएफ की समस्या के लिए और उसके बुलावे पर कहीं भी उपस्थित रहेंगे.

कॉ. जे. आर. भोसले, कोषाध्यक्ष, एआईआरएफ/डब्ल्यूआरईयू, ने आरपीएफ एसोसिएशन की इस मुहिम को पूरा समर्थन दिया. 'अग्नि' के श्री शरद कुमार शाह ने कहा कि आरपीएफ को ही रेलवे के बारे में ज्यादा जानकारी होती है और रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए आरपीएफ को ही ज्यादा कानूनी शक्तियां दी जानी चाहिए उन्होंने कहा कि रेलमंत्री ने श्वेत पत्र में कहा है कि रेल यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी आरपीएफ की है. मगर यह सिर्फ कहा गया है. इस बारे में प्रत्यक्ष कुछ होता नजर नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि श्वेत पत्र में आरपीएफ को सुसज्जित करने के लिए जो कुछ भी कहा गया है, वह अमल में आना चाहिए. उन्होंने कहा कि आरपीएफ को जांच सहित संपूर्ण कानूनी अधिकार दिया जाना चाहिए. ऐसा मेरा मानना है. इसके बाद ही उसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक पूरा अधिकार नहीं दिया जाता है, तब तक आरपीएफ को जिम्मेदार ठहराए जाने का कोई मतलब नहीं है.

श्री मधु कोटियन ने कहा कि आरपीएफ एसोसिएशन द्वारा यात्रियों की सुरक्षा के लिए आयोजित यह सेमिनार बिना यात्री संगठनों की भागीदारी के पूरा नहीं होता. उन्होंने कहा कि जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों को यात्रियों की समस्याएं सुनने का समय नहीं है. यह लोग रेलवे से यात्रा नहीं करते हैं. उन्हें रेलवे और रेल यात्रियों की समस्याओं के बारे में पता नहीं है. आज यहां यदि वह लोग बैठते तो उन्हें यह सब पता चलता. उन्होंने कहा कि रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था ऐसी है कि यात्रियों को न्याय और सुरक्षा नहीं मिल पाती है. इसलिए जैसी एकल नियंत्रण व्यवस्था होती है, उसी तरह रेलवे में भी एकल सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जितनी वहन क्षमता है उससे ज्यादा रेलवे क्यों ढो रही है. 9 डिब्बों की लोकल में यदि 16-17 सौ यात्रियों को ढोने की क्षमता है तो उसमें 5000 लोग क्यों ढोये जा रहे हैं. जहां ऑटो रिक्शा, टैक्सी, सिनेमाहॉल, बस आदि वाहनों एवं जगहों पर निर्धारित संख्या से ज्यादा टिकट नहीं जारी होते हैं, यदि कोई ज्यादा जारी करता है अथवा ज्यादा सवारी ले जाता है तो उस पर पुलिस जुर्माना लगा देती है, तब 15-16 सौ यात्रियों की जगह एक रेक में 5000 यात्री ढोने के लिए रेलवे पर क्या कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि 26/11 के हमले में जहां सीएसटी पर 57 निर्दोष यात्री मारे गए और करीब 200 लोग घायल हुए और आरपीएफ के आईजी/सीएससी बी. एस. सिद्धू, जिनका कार्यालय इस ऑडिटोरियम की बिल्डिंग के सामने ही है, जिसके सामने ही वह भीषण हादसा हुआ था, को बधवार पार्क आवास से यहां पहुंचने में डेढ़ से पौने दो घंटे लग जाते हैं. फिर भी फर्जी कार्रवाई करवाकर वह 5-5 लाख रु. का इनाम भी लेते हैं, यह बहुत ही शर्मनाक है. इसलिए उनका मानना है कि रेलवे में एक ही यूनिफाइड फोर्स होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धू जैसे अधिकारी ही शायद यह यूनिफाइड फोर्स नहीं होने दे रहे हैं कि कहीं आरपीएफ से उनका पत्ता ही न कट जाए. अंत में श्री मधु कोटियन ने रेलवे में ङ्क्षसगल यूनिफाइड फोर्स की वकालत की और आरपीएफ एसोसिएसन को आश्वस्त किया कि मुंबई के सभी यात्री संगठन इस मुहिम में उसके साथ हैं.

इस सेमिनार के सफल आयोजन में म.रे. के महासचिव श्री एस. आर. रेड्डी, मंडल सचिव श्री डी. सी. पांडे, श्री शुक्ला, सीताराम पडोलिया और प.रे. के अध्यक्ष श्री आर. एन. राय, मंडल सचिव श्री भागवत शर्मा सहित दोनों रेलों के तमाम आरपीएफ जवानों ने अथक परिश्रम किया. कार्यक्रम का संचालन श्री आर. एन. राय ने किया. रेलयात्रियों की सुरक्षा को लेकर आल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन का दिल्ली, लखनऊ के बाद मुंबई में यह तीसरा सेमिनार था. एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री ए. कलईअरसन ने अपने समापन भाषण में बताया कि ऐसे महत्वपूर्ण सेमिनार देश के सभी प्रमुख शहरों और जोनल मुख्यालयों में किए जा रहे हैं. आरपीएफ की रेल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर की गई इस अभिनव पहल की चौतरफा सराहना हो रही है.

सेमिनार के बीच में यह खबर आई कि म.रे. के आईजी/सीएससी बी. एस. सिद्धू ने सीएसटी पर बम होने की फर्जी अफवाह (मॉकड्रिल) उड़ाई और इस बहाने सीएसटी पर उन सभी आपरीएफ वालों को बुला लिया जो रात ड्यूटी करके गए थे और आरपीएसएफ को भी इसमें शामिल कर लिया. जिससे आरपीएफ जवान सेमिनार में न जा सकें. मगर उनकी यह कोशिश सफल नहीं हुई, क्योंकि बड़ी संख्या में आरपीएफ जवान इस सेमिनार में उपस्थित थे और मध्य एवं पश्चिम रेलवे के सभी मंडलों से आकर आरपीएफ स्टाफ इसमें शामिल हुआ. स्टाफ के बीच यह भी अफवाह फैलाई गई थी कि जो लोग सेमिनार में भाग लेने जाएंगे, उन्हें बाद में परेशान किया जाएगा और उनका तबादला भी किया जा सकता है. परंतु अब म.रे. का आरपीएफ स्टाफ सीएससी और उनके चमचों के ऐसे उत्पीडऩों का आदी हो चुका है. तथापि अब आशंका यह उठने लगी है कि यदि अब पुन: ऐसी कोई कोशिश की गई तो उत्पीडि़त आरपीएफ स्टाफ इसके खिलाफ कोई भारी कदम भी उठा सकता है.

अतुल क्षीरसागर की 'चोरी' पकड़ी गई

म.रे. के महाभ्रष्ट आईजी/सीएससी बी.एस. सिद्धू के इशारे पर सेमिनार में हुई बाते चोरी-छिपे रिकार्ड करवाने के लिए उनके सबसे बड़े चापलूस बन गए आईपीएफ/सीएसटी अतुल क्षीरसागर की चोरी पकड़ी गई क्योंकि उन्होंने ऑडिटोरियम की उद्घोषणा प्रणाली संचालित करने वाले एस एंड टी कर्मी को चुपके से एक सेट ऑडियो कैसेट देकर पूरे सेमिनार में सभी वक्ताओं के वक्तव्य रिकार्ड करके यह कैसेट उन्हें ही देने की हिदायत दी थी. परंतु यह रिकार्डेड ऑडियो कैसेट श्री एस. आर. रेड्डी ने पहले ही उससे लेकर अपने कब्जे में कर लिए थे, क्योंकि रिकार्डिंग की हिदायत उसे सबसे पहले श्री रेड्डी ने ही दी थी. हालांकि श्री रेड्डी को पहले श्री क्षीरसागर की चोरी (रिकार्डिंग) की खबर नहीं थी. उनकी चोरी की पोल तो तब खुली जब श्री क्षीरसागर ने भुसावल के एक कांस्टेबल को यह कैसेट लेने के लिए एस एंड टी कर्मी के पास भेजा. एस एंड टी कर्मी ने भी पहले तो श्री रेड्डी से यह कह कर कैसेट मांगे कि अभी उनमें कुछ डबिंग करनी बाकी है. मगर श्री रेड्डी ने उसे कैसेट देने से मना कर दिया. थोड़ी देर बाद एक दूसरा एस एंड टी कर्मी श्री रेड्डी के पास पहुंचा और कैसेट वापस करने को कहा. श्री रेड्डी के मना करने पर उसने कहा कि वह कैसेट उनके नहीं हैं. तब श्री रेड्डी ने उससे पूछा कि उन्होंने जो कैसेट रिकार्डिंग के लिए दिए थे, वह कहां हैं और जो कैसेट वह मांग रहा है, वे किसके हैं तब उसने बताया कि यह कैसेट अतुल क्षीरसागर ने रिकार्डिंग के लिए भेजवाए थे, वही लेने के लिए उन्होंने अपना आदमी भेजा है.

इस पर श्री रेड्डी ने उससे उस आदमी को बुलाकर लाने के लिए कहा. वह उसे बुला लाया जो कि सादी वर्दी में भुसावल का कांस्टेबल था. उसने पहले लपककर श्री यू. एस. झा के पैर छू लिए और फिर बताया कि उसे अतुल क्षीरसागर ने वह कैसेट लाने के लिए भेजा है. इसके बाद श्री रेड्डी ने उसकी लानत-मलामत तो की है, साथ ही आईपीएफ क्षीरसागर को भी वहां उपस्थित तमाम आक्रोशित आरपीएफ वालों ने आईजी का दलाल और भडुआ जैसे शब्दों से नवाजते हुए उसे बिना कैसेट दिए ही वहां से भगा दिया और कहा कि लानत है श्री क्षीरसागर पर जो आईजी/सीएससी के इशारे पर इस तरह अपने ही लोगों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं.

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