Wednesday 3 September, 2008

पश्चिम रेलवे के कामचलाऊ एसडीजीएम् का कारनामा

नियमों की मनचाही व्याख्या करके और दो -दो मेजर पेनाल्टी विजिलेंस केस
पेंडिंग होने के बावजूद आरोपी कर्मचारी को किया गया ग्रुप 'बी' में पदोन्नत.
महाप्रबंधक को ग़लत जानकारी देकर किया गया गुमराह.
कार्यकारी एसडीजीएम्, सीसीएम् की संदिग्ध भूमिका.
संबंधित आरोपी की कर्मचारी की संदिग्ध पदोन्नति में निहित भ्रष्टाचार की पुरी संभावना.
पदोन्नति के तुंरत बाद आरोपी कर्मचारी ने शुरू की कर्मचारियों के खिलाफ बदले की भावना से अपनी कार्यप्रणाली
मुंबई: दिनांक ८ जुलाई २००८ को जैसे ही श्री राजीव एम् जैन सहायक, वाणिज्य निरिश्चक, मुंबई सेंट्रल, को ग्रुप 'बी' में पद्दोनत करके सहायक वाणिज्य प्रभंधक टिकट चेलिंग (सीसीएम्/ टी सी ) के पद पा वाणिज्य मुख्यालय, चर्चगेट में पदस्थ किया गया, उसी दिनसे मुंबई सेंट्रल के कई कर्मचारियों के फ़ोन लगातार 'रेलवे समाचार' को शुरू हो गए थे। इन कर्मचारियों ने दो-तीन दिन लगातार फ़ोन करके 'रेलवे समाचार' को बताया की श्री राजीव एम् जैन के खिलाफ कई विजिलेंस केस पेंडिंग हैं। उन्होंने इन विजिलेंस मामलो का हवाला देते हुए यह भी कहा की श्री जैन की पदोन्नति घोर पक्षपात पूर्ण और नियम विर्रुध हैं। इसके आलावा उन्होंने श्री जैन की कार्यप्रणाली और उनकी छवि के भी तमाम तथ्पात्मक उद्धरण गिनाये।
इस प्रष्ठभूमि में 'रेलवे समाचार' ने सर्वप्रथम जनसुचना अधिकार अधिनियम २००५ (आरटीआई एक्ट-२००५) के तहत प.रे.से इस सम्बन्ध में पुरी जानकारी मांगने की तैयारी की और दिनांक-२१/०१/०८ को तत्सम्बन्धी आवेदन केंद्रिय जनसूचना अधिकारी/ प.रे ( सीपीआईओ/प. रे. ) के उक्क्त आवेदन के अंतर्गत प्रदान की गई आधी- अधूरी जानकारी तथा अन्य श्रोतो से प्राप्त जानकारी से यह उजागर हुआ हैं की श्री राजीव एम् जैन को एक सुनियोजित तरीके से और तत्वों को तोड़- मरोड़कर तथा नियमो की मनचाही व्याख्या करके ग्रुप 'बी' में पदोन्नत किया गया हैं। इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा महत्वापूर्ण योगदान तत्कालिन एसदीजीएम् श्री राकेश गुप्ता का रहा है।
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