Sunday 1 January, 2012


सारे आरोप बेबुनियाद हैं -हिंद एनर्जी 

'रेलवे समाचार' की इस वेब साईट पर "हिंद एनर्जी और विमला लाजिस्टिक्स को ट्रैफिक अधिकारियों का संरक्षण" तथा दि. 1 से 15 दिसंबर 2011 के प्रिंट एडीशन में "क्यों पाला जा रहा है हिंद एनर्जी और विमला इन्फ्रास्ट्रक्चर को?" शीर्षक से प्रकाशित खबर पर 'हिंद एनर्जी एंड कोल बेनिफिकेशन (इंडिया) लि.' ने 'रेलवे समाचार' को एक क़ानूनी नोटिस भेजकर उपरोक्त खबर में प्रकाशित तथ्यों अथवा आरोपों को बेबुनियाद बताया है. कंपनी का कहना है कि रेलवे/ट्रैफिक अफसरों द्वारा कंपनी को नियमों के विपरीत करोड़ों का लाभ पहुँचाने, कोयले की लोडिंग/अनलोडिंग और ब्रोकरेज में कंपनी के इन्वाल्व होने, गैर-क़ानूनी तरीके से बिना आवश्यक और उचित अनुमति लिए कंपनी द्वारा रेलवे साइडिंग से कोयले की लोडिंग करने, करीब 700 करोड़ रु. की लागत से कंपनी द्वारा कोल वासरी लगाए जाने, अधिक दर पर कंपनी द्वारा सरकारी पावर हाउसों को धुले हुए कोयले की आपूर्ति करने और कंपनी में झारखण्ड के एक पूर्व मुख्यमंत्री का निवेश होने आदि जैसे तथ्य और आरोप एकदम मनगढ़ंत और बेबुनियाद हैं. 

कंपनी ने अपनी इस नोटिस में यह भी स्पष्ट किया है कि उसकी एक कोल वासरी है, जिसमे कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों की जरूरत के मुताबिक उनके लिए सामान्य एवं न्यूनतम दरों पर कोयले की धुलाई की जाती है. पिछले वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी का कुल कारोबार 12 करोड़ रु. रहा है. नोटिस में कंपनी ने स्पष्ट किया है कि वह कोयले की ब्रोकरेज के धंधे में कभी-भी नहीं थी. कंपनी का कहना है कि लोडिंग/अनलोडिंग गतिविधियाँ कंपनी के लाजिस्टिक आपरेशंस का हिस्सा हैं. कंपनी का कहना है कि उसने रेलवे साइडिंग लाइन नंबर - 7, एक्सचेंज यार्ड, एनटीपीसी, गटोरा के इस्तेमाल हेतु दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की कम्पीटेंट अथोरिटी से प्रायरिटी-डी के तहत कोयले की लोडिंग के लिए आवश्यक अनुमति (Letter No. C/SECR/BSP/SDG/COAL/CO-USER/6352, Dated 30.09.2010) ली हुई है. कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया है कि इसके अतिरिक्त उपरोक्त साइडिंग से अन्य कई फर्में/कम्पनियाँ भी इस प्रकार का कार्य कर रही हैं. कंपनी का कहना है कि उसके कोल वासरी प्लांट की कुल स्थापना लागत करीब 7.50 करोड़ रु. है. कंपनी का कहना है कि उसने किसी भी सरकारी पावर हाउस को गैर-क़ानूनी तरीके से धुले हुए कोयले की आपूर्ति (बिक्री) नहीं की है. कंपनी ने झारखण्ड के किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा कंपनी में किसी भी प्रकार से एक भी पैसे का निवेश किए जाने से स्पष्ट इंकार किया है. कंपनी का कहना है कि उसके मालिकान एक अच्छी छवि वाले उद्योगपति हैं. इसलिए उपरोक्त शीर्षक से मानहानिकारक खबर से उनकी छवि धूमिल हुई है. कंपनी का कहना है कि उपरोक्त शीर्षक खबर में प्रकाशित तथ्य अत्यंत भ्रामक और दिग्भ्रमित करने वाले हैं, जिन्हें जानबूझकर उसकी छवि धूमिल करने के उद्देश्य से प्रकाशित कराया गया है. कंपनी का कहना है कि वह कभी-भी 'दलाली' के बिजनेस में नहीं थी. अतः उसके लिए 'दलाल' शब्द का प्रयोग किया जाना अत्यंत मानहानिकारक और आपत्तिजनक है. 

'रेलवे समाचार' का स्पष्टीकरण : इस सम्बन्ध में सर्वप्रथम हमारा कहना यह है कि उपरोक्त शीर्षक से प्रकाशित पूरी खबर कंपनी के खिलाफ नहीं, बल्कि रेलवे अफसरों के खिलाफ है. क्योंकि इस मामले में रेलवे के सम्बंधित अफसरों द्वारा रेलवे के स्थापित नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. अब यदि रेलवे अफसरों द्वारा किए जा रहे नियमों के उल्लंघन के बारे में कोई खबर प्रकाशित की गई है, तो उनके इस उल्लंघन से लाभ पाने वाली कंपनी पर इसका प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है. इसलिए यह समझना या कहना उचित नहीं है कि उक्त खबर कंपनी के खिलाफ है. इसके अलावा हमारा कहना यह भी है कि जिस समय द. पू. म. रे. द्वारा कंपनी को एनटीपीसी की सरकारी साइडिंग के इस्तेमाल करने की को-यूजर परमीशन (दि.30.09.2010) दी गई थी, वह पूरी तरह नियमों के खिलाफ थी, क्योंकि उस समय से और पूरे चार महीने पहले से रेलवे की प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल (पीएफटी) (Railway Board's Letter No. 2008/TC(FM)/14/2, Dated 31.05.2010, Freight Marketing Circular No. 14 of 2010) पॉलिसी मौजूद थी. इस पॉलिसी के अनुसार किसी सरकारी या गैर-सरकारी साइडिंग को किसी तीसरी पार्टी के इस्तेमाल हेतु को-यूजर परमीशन तब तक नहीं दी जा सकती है, जब तक कि वे अपनी साइडिंग को पीएफटी में कन्वर्ट नहीं कर लेते हैं. इस संदर्भित सर्कुलर के अनुसार कंपनी (हिंद एनर्जी) अथवा एनटीपीसी को दी गई को-यूजर परमीशन अवैध और नियमों के खिलाफ है. अतः क़ानूनी नोटिस देकर और बिलासपुर प्रवास के दौरान संपादक को गुंडों द्वारा घेरकर और पुलिस कार्रवाई की धमकी देकर खबर का स्रोत बताने का दबाव बनाए जाने जैसी निम्न स्तरीय गतिविधियाँ किसी बड़ी और स्थापित कंपनी को शोभा नहीं देती हैं. तथापि उपरोक्त खबर से यदि कंपनी की छवि धूमिल हुई है, अथवा यदि उसकी गरिमा को ठेस पहुंची है और यदि उसकी किसी प्रकार की मानहानि हुई है, तो इसके लिए हमें अत्यंत खेद है. 
-संपादक 
www.railsamachar.com

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