Friday 16 September, 2011


रेल सरक्षा सर्वोपरि..?? 

बनेगी एक और संरक्षा कमेटी 

पुरानी कमेटियों कि रिपोर्ट्स का क्या होगा..? 

रेलमंत्री श्री दिनेश त्रिवेदी ने कहा है कि रेल संरक्षा सर्वोपरि है और इसके लिए एक संरक्षा कमेटी का गठन शीघ्र ही किया जाएगा. परन्तु सवाल यह उठता है कि एक और संरक्षा कमेटी के गठन से क्या हो जाएगा? पुरानी संरक्षा कमेटियों की जो रिपोर्टें पूरी तरह से आजतक लागू नहीं की गई हैं, उनका क्या होगा? पुरानी कमेटियों कि रिपोर्टों पर ही क्यों नहीं पूरी तरह से अमल किया जा रहा है? क्या भारतीय रेल इन तथाकथित कमेटियों के भरोसे ही अब चलने के लिए अभिशप्त हो गई है ? इस तरह क्यों जनता के पैसे को बरबाद किया जा रहा है? क्या इस देश में अब इस तरह की मनमानियों पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं रह गया है? 

ममता बनर्जी ने ही शुरू की थी रेल 
किराया न बढ़ाने की राजनीति 

रेल किराया न बढ़ाने की राजनीति ममता बनर्जी ने ही वर्ष 2002-03 के अपने पहले रेलमंत्रित्व कार्यकाल में शुरू की थी. तब से लेकर आज 10 साल हो गए हैं रेलवे का किराया न बढाकर वोट की राजनीति की जाती रही है. अब जब भारतीय रेल करीब एयर इंडिया और इंडियन एयर लाइंस की तरह कंगाली की कगार पर पहुँच गई है, तब फिर से ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ही रेलवे का बंटाधार कर रही है. अब जब रेलवे की बदौलत उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल में सत्ता पाने अपर कामयाब हो गई है और फिलहाल उनकी राजनीति को कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है, तब रेल का किराया बढाए जाने की बात उनके सिपहसालार रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी कर रहे है. परन्तु क्या 8 से 10 प्रतिशत रेल किराया बढ़ा दिए जाने पिछले 10 में रेलवे को हुए लाखों करोड़ रूपये के नुकसान की भरपाई हो जाएगी? 

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