करोड़ों रुपये की लागत से बनी नई स्टेशन
बिल्डिंग और कालोनियों में रिसाव एवं दरारें
ऑफीसर्स फेडरेशन के अध्यक्ष ने जांच की
मांग करते हुए सीआरबी को पत्र लिखा
नयी दिल्ली : भारतीय रेल में ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि किसी ऑफीसर्स फेडरेशन के अध्यक्ष ने भ्रष्टाचार का नंगा नाच देखकर और उकता कर चेयरमैन/रेलवे बोर्ड को सीधे शब्दों में लिखकर अपने ही अधिकारियों - कर्मचारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई किए जाने की मांग की है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इंडियन रेलवे प्रमोटी ऑफीसर्स फेडरेशन (आईआरपीओएफ) के अध्यक्ष श्री जे. पी. सिंह ने चेयरमैन रेलवे बोर्ड को 2 सितंबर 2009 को एक पत्र (संख्या आईआरपीओएफ/पत्रा./विविध/08) लिखकर दरभंगा रेलवे स्टेशन की इमारत एवं रेलवे कालोनियों के निर्माण कार्य और रखरखाव में भारी अनियमितता बरते जाने के लिए जांच की मांग की है. इस पत्र की एक प्रति 'रेलवे समाचार' को अपने स्रोतों से रे.बो. से हाल ही में प्राप्त हुई है.
रे.बो. के हमारे सूत्रों के अनुसार सीआरबी ने श्री सिंह के इस पत्र को रे.बो. विजिलंस को भेजकर इसमें उठाए गए मुद्दों की विस्तृत जांच कराने के लिए कहा है.
पत्र में श्री जे. पी. सिंह ने लिखा है कि उन्होंने 20 अगस्त को जब दरभंगा स्टेशन और आसपास की रेल कालोनियों का निरीक्षण किया तो उनकी हालत बहुत ही खराब पाई गई. उन्होंने लिखा है कि दरभंगा उत्तर बिहार का सबसे महत्वपूर्ण और पू.म.रे. का पटना के बाद सबसे ज्यादा आय देने वाला रेलवे स्टेशन है. यहां से सालाना 60 से 70 करोड़ रु. की यात्री आय प्राप्त होती है. ऐसे महत्वपूर्ण स्टेशन की इमारत एवं कर्मचारी आवासों के निर्माण एवं रखरखाव में भारी कमियां पाई गई हैं. उन्होंने लिखा है कि 19-20 अगस्त की रात को दरभंगा और आसपास के इलाके में भारी बरसात हुई थी, जिससे पूरी रेलवे कालोनी में घुटनों तक पानी भर गया था, जबकि कालोनियों में लगभग सभी कर्मचारी आवासों की छतों से वर्षा के पानी का रिसाव हो रहा था. ऐसी स्थिति में रेल कर्मचारियों को पूरी रात खड़े रहकर और जागकर बितानी पड़ी. यही व्यथा-कथा स्टेशन पर कार्यरत रेल कर्मचारियों की भी थी.
श्री सिंह ने लिखा है कि दरभंगा स्टेशन के प्रमुख प्लेटफार्म नं. 1 पर सभी स्टेशन कार्यालय भी स्थित हैं, जबकि हाल ही में बदली गई इस प्लेटफार्म की एस्बेस्टॉस की पूरी छत से वर्षा के पानी का पूरे धारदार वेग से रिसाव हो रहा था. जिससे उस रात इस प्लेटफार्म पर सैकड़ों रेल यात्रियों को खड़े रहकर भीगना पड़ा, जबकि इसी प्लेटफार्म पर अन्यत्र भेजे जाने के लिए मखाना के करीव 500 बोरे नीचे से पानी में डूबे हुए और ऊपर से भीगे हुए पाए गए. यह बहुत बड़ा नुकसान है. उन्होंने लिखा है कि निरीक्षण के दौरान रिटायरिंग रूम नं. 1, 2, 3 और नवनिर्मित डोरमेट्री एवं महिला प्रतीक्षालय की दीवारों में दरारें पड़ी हुई तथा छत से पानी का रिसाव एवं फर्श पर वर्षा का पानी भरा हुआ मिला.
श्री जे.पी. सिंह ने लिखा है कि स्टेशन इमारत की पहली मंजिल पर स्थित क्रू नियंत्रण कक्ष, डीजल लॉबी, एसएसई /सिगनल, आरक्षण केंद्र, पार्सल कार्यालय, पार्सल गोदाम, बेड रोल गोदाम आदि लगभग सभी महत्वपूर्ण कार्यालयों का निरीक्षण करने पर पाया गया कि उनकी दीवारों में बड़ी और मोटी-मोटी दरारें पड़ी हुई हैं और उनकी छतों से पानी का लगातार रिसाव जारी है. जबकि यह सभी इमारते एवं कार्यालय नवनिर्मित हैं. उन्होंने लिखा है कि आरक्षण केंद्र के फर्श पर पानी भरा हुआ था, जिससे स्टाफ को खड़े रहकर काम करने तथा इसी प्रकार यात्रियों को भी पानी में रहकर अपना टिकट लेना पड़ रहा था.
आईआरपीओएफ के अध्यक्ष ने साफ लिखा है कि यहां की अधिकांश इमारतों एवं कार्यालयों का निर्माण हाल ही में और विशेष रूप से पिछले दो वर्षों के दरम्यान किया गया है जबकि इन सभी नवनिर्मित भवनों की छतें टपक (चू) रही हैं और इनकी दीवारों में गहरी दरारें पड़ गई हैं. यहां तक इन नवनिर्मित छतों पर तारपोलिन भी डाली गई है, तथापि इनसे पानी का रिसाव लगातार जारी है, जिससे आवासों में कर्मचारियों का रहना और बरसात से बचना तथा स्टेशन कार्यालयों में उनका काम कर पाना मुश्किल हो गया है.
उन्होंने लिखा है कि कालोनियों के कर्मचारी आवासों की मरम्मत और जल-मल निकासी की व्यवस्था अपर्याप्त एवं बेहद त्रुटिपूर्ण पाई गई है. उन्होंने अपनी इस रिपोर्ट में आगे लिखा है कि उपरोक्त तमाम तथ्यों से यह जाहिर है कि निश्चित रूप से उपरोक्त निर्माण कार्यों एवं उनकी मरम्मत में विगत दो वर्षों के दरम्यान करोड़ों रु. का रेल राजस्व खर्च किया गया होगा.
उन्होंने मांग करते हुऐ लिखा है कि विगत पांच वर्षों के दौरान दरभंगा स्टेशन बिल्डिंग और यहां की कालोनियों के निर्माण एवं उनकी मरम्मत पर खर्च की गई राशि तथा उनके कार्यों एवं उनकी गुणवत्ता की जांच करवाई जाए तथा जो कर्मचारी-अधिकारी इसके लिए दोषी पाए जाएं, उनके विरुद्ध कड़ी विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए.
श्री जे. पी. सिंह ने वास्तव में बहुत बड़े साहस का काम किया है. हालांकि उन्होंने सिर्फ विभागीय कार्रवाई की मांग की है जबकि यह तमाम कृत्य भयावह आपराधिक किस्म का है और इसके लिए सर्वप्रथम पुलिस में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और उन सबकी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और जांच की जानी चाहिए जो टेंडर कमेंटी से लेकर प्रत्यक्ष सुपरविजन एवं निर्माण में शामिल रहे हैं. इसके अलावा कई ईमानदार और कर्तव्यपरायण अधिकारियों का मानना था कि श्री जे. पी. सिंह की ही तरह यदि अन्य फेडरेशनों के बड़े पदाधिकारी भी ऐसे ही कार्य करने लगें और भा.रे. में चौतरफा होने वाले तमाम निर्माण एवं अन्य कार्यों की गुणवत्ता पर अपनी पैनी नजर रखकर उनमें होने वाली अनियमितताओं की जानकारी सक्षम अधिकारियों तक पहुंचाएं तो रेलवे में भ्रष्टाचार पर बड़े पैमाने पर अंकुश लगाया जा सकता है.
बिल्डिंग और कालोनियों में रिसाव एवं दरारें
ऑफीसर्स फेडरेशन के अध्यक्ष ने जांच की
मांग करते हुए सीआरबी को पत्र लिखा
नयी दिल्ली : भारतीय रेल में ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि किसी ऑफीसर्स फेडरेशन के अध्यक्ष ने भ्रष्टाचार का नंगा नाच देखकर और उकता कर चेयरमैन/रेलवे बोर्ड को सीधे शब्दों में लिखकर अपने ही अधिकारियों - कर्मचारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई किए जाने की मांग की है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इंडियन रेलवे प्रमोटी ऑफीसर्स फेडरेशन (आईआरपीओएफ) के अध्यक्ष श्री जे. पी. सिंह ने चेयरमैन रेलवे बोर्ड को 2 सितंबर 2009 को एक पत्र (संख्या आईआरपीओएफ/पत्रा./विविध/08) लिखकर दरभंगा रेलवे स्टेशन की इमारत एवं रेलवे कालोनियों के निर्माण कार्य और रखरखाव में भारी अनियमितता बरते जाने के लिए जांच की मांग की है. इस पत्र की एक प्रति 'रेलवे समाचार' को अपने स्रोतों से रे.बो. से हाल ही में प्राप्त हुई है.
रे.बो. के हमारे सूत्रों के अनुसार सीआरबी ने श्री सिंह के इस पत्र को रे.बो. विजिलंस को भेजकर इसमें उठाए गए मुद्दों की विस्तृत जांच कराने के लिए कहा है.
पत्र में श्री जे. पी. सिंह ने लिखा है कि उन्होंने 20 अगस्त को जब दरभंगा स्टेशन और आसपास की रेल कालोनियों का निरीक्षण किया तो उनकी हालत बहुत ही खराब पाई गई. उन्होंने लिखा है कि दरभंगा उत्तर बिहार का सबसे महत्वपूर्ण और पू.म.रे. का पटना के बाद सबसे ज्यादा आय देने वाला रेलवे स्टेशन है. यहां से सालाना 60 से 70 करोड़ रु. की यात्री आय प्राप्त होती है. ऐसे महत्वपूर्ण स्टेशन की इमारत एवं कर्मचारी आवासों के निर्माण एवं रखरखाव में भारी कमियां पाई गई हैं. उन्होंने लिखा है कि 19-20 अगस्त की रात को दरभंगा और आसपास के इलाके में भारी बरसात हुई थी, जिससे पूरी रेलवे कालोनी में घुटनों तक पानी भर गया था, जबकि कालोनियों में लगभग सभी कर्मचारी आवासों की छतों से वर्षा के पानी का रिसाव हो रहा था. ऐसी स्थिति में रेल कर्मचारियों को पूरी रात खड़े रहकर और जागकर बितानी पड़ी. यही व्यथा-कथा स्टेशन पर कार्यरत रेल कर्मचारियों की भी थी.
श्री सिंह ने लिखा है कि दरभंगा स्टेशन के प्रमुख प्लेटफार्म नं. 1 पर सभी स्टेशन कार्यालय भी स्थित हैं, जबकि हाल ही में बदली गई इस प्लेटफार्म की एस्बेस्टॉस की पूरी छत से वर्षा के पानी का पूरे धारदार वेग से रिसाव हो रहा था. जिससे उस रात इस प्लेटफार्म पर सैकड़ों रेल यात्रियों को खड़े रहकर भीगना पड़ा, जबकि इसी प्लेटफार्म पर अन्यत्र भेजे जाने के लिए मखाना के करीव 500 बोरे नीचे से पानी में डूबे हुए और ऊपर से भीगे हुए पाए गए. यह बहुत बड़ा नुकसान है. उन्होंने लिखा है कि निरीक्षण के दौरान रिटायरिंग रूम नं. 1, 2, 3 और नवनिर्मित डोरमेट्री एवं महिला प्रतीक्षालय की दीवारों में दरारें पड़ी हुई तथा छत से पानी का रिसाव एवं फर्श पर वर्षा का पानी भरा हुआ मिला.
श्री जे.पी. सिंह ने लिखा है कि स्टेशन इमारत की पहली मंजिल पर स्थित क्रू नियंत्रण कक्ष, डीजल लॉबी, एसएसई /सिगनल, आरक्षण केंद्र, पार्सल कार्यालय, पार्सल गोदाम, बेड रोल गोदाम आदि लगभग सभी महत्वपूर्ण कार्यालयों का निरीक्षण करने पर पाया गया कि उनकी दीवारों में बड़ी और मोटी-मोटी दरारें पड़ी हुई हैं और उनकी छतों से पानी का लगातार रिसाव जारी है. जबकि यह सभी इमारते एवं कार्यालय नवनिर्मित हैं. उन्होंने लिखा है कि आरक्षण केंद्र के फर्श पर पानी भरा हुआ था, जिससे स्टाफ को खड़े रहकर काम करने तथा इसी प्रकार यात्रियों को भी पानी में रहकर अपना टिकट लेना पड़ रहा था.
आईआरपीओएफ के अध्यक्ष ने साफ लिखा है कि यहां की अधिकांश इमारतों एवं कार्यालयों का निर्माण हाल ही में और विशेष रूप से पिछले दो वर्षों के दरम्यान किया गया है जबकि इन सभी नवनिर्मित भवनों की छतें टपक (चू) रही हैं और इनकी दीवारों में गहरी दरारें पड़ गई हैं. यहां तक इन नवनिर्मित छतों पर तारपोलिन भी डाली गई है, तथापि इनसे पानी का रिसाव लगातार जारी है, जिससे आवासों में कर्मचारियों का रहना और बरसात से बचना तथा स्टेशन कार्यालयों में उनका काम कर पाना मुश्किल हो गया है.
उन्होंने लिखा है कि कालोनियों के कर्मचारी आवासों की मरम्मत और जल-मल निकासी की व्यवस्था अपर्याप्त एवं बेहद त्रुटिपूर्ण पाई गई है. उन्होंने अपनी इस रिपोर्ट में आगे लिखा है कि उपरोक्त तमाम तथ्यों से यह जाहिर है कि निश्चित रूप से उपरोक्त निर्माण कार्यों एवं उनकी मरम्मत में विगत दो वर्षों के दरम्यान करोड़ों रु. का रेल राजस्व खर्च किया गया होगा.
उन्होंने मांग करते हुऐ लिखा है कि विगत पांच वर्षों के दौरान दरभंगा स्टेशन बिल्डिंग और यहां की कालोनियों के निर्माण एवं उनकी मरम्मत पर खर्च की गई राशि तथा उनके कार्यों एवं उनकी गुणवत्ता की जांच करवाई जाए तथा जो कर्मचारी-अधिकारी इसके लिए दोषी पाए जाएं, उनके विरुद्ध कड़ी विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए.
श्री जे. पी. सिंह ने वास्तव में बहुत बड़े साहस का काम किया है. हालांकि उन्होंने सिर्फ विभागीय कार्रवाई की मांग की है जबकि यह तमाम कृत्य भयावह आपराधिक किस्म का है और इसके लिए सर्वप्रथम पुलिस में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और उन सबकी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और जांच की जानी चाहिए जो टेंडर कमेंटी से लेकर प्रत्यक्ष सुपरविजन एवं निर्माण में शामिल रहे हैं. इसके अलावा कई ईमानदार और कर्तव्यपरायण अधिकारियों का मानना था कि श्री जे. पी. सिंह की ही तरह यदि अन्य फेडरेशनों के बड़े पदाधिकारी भी ऐसे ही कार्य करने लगें और भा.रे. में चौतरफा होने वाले तमाम निर्माण एवं अन्य कार्यों की गुणवत्ता पर अपनी पैनी नजर रखकर उनमें होने वाली अनियमितताओं की जानकारी सक्षम अधिकारियों तक पहुंचाएं तो रेलवे में भ्रष्टाचार पर बड़े पैमाने पर अंकुश लगाया जा सकता है.
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