Thursday, 4 September 2008

पूर्वोत्तर रेलवे में १५ करोड़ से ज्यादा का घपला उजागर

पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर में डुप्लीकेट चेकों का करीब १५ करोड़ रुपये से ज्यादा का घपला उजागर हुआ है। पता चला है कि जिस सीरीज के चेक पूर्वोत्तर रेलवे एकाउन्ट्स विभाग से जारी ही नहीं हुए थे उन सीरीज के डुप्लीकेट माइकर चेक बाहर बना लिए गए थे। इनमें से करीब २२ चेक भुना लिए जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है। इनमें से प्रत्येक चेक ८५ लाख का बताया जा रहा है।
जैसे मान लें कि चेक नम्बर ०००७५१ से ००८०० सीरीज के चेक तो अभी तक निर्माण संगठन, पूर्वोत्तर रेलवे के पास ही हैं मगर इन नंबरों के डुप्लीकेट चेक बाहर से छाप लिए गए जिनमें से चेक नम्बर ०००७५१ से ०००७७२ तक के चेक बैंक के पास भुनाने के लिए भेजे गए थे, इनमें से ७ चेक आनर होकर पूर्वोत्तर रेलवे के पास आए हैं, इसमें से अन्तिम चेक ०००७७२ नम्बर का है जो की ८५ लाख का बताया गया है, जिससे रेलवे का यह अनुमान है कि कुल २२ चेक अब तक भुनाए जा चुके होंगे।
बताया जाता है कि इन डुप्लीकेट चेकों में दो लेखाधिकारियों - अशोक कुमार पाठक और हरी शंकर महतो, दोनों सीनियर ऐऍफ़ऐ, जो अब निर्माण संगठन से ट्रांसफर होकर हेड क्वार्टर में पोस्टेड हैं, के हस्ताक्षर हैं। ऐसा लगता है की पूर्वोत्तर रेलवे घपलों और विवादों की रेलवे बन कर रह गई है....?
बताते हैं की इस फोर्जरी की जानकारी मिलने पर जीएम् ने ऍफ़ऐ एंड सीऐओ को इस विभागीय लापरवाही के लिए खूब लताड़ लगाई थी।
पता चला है की शनिवार ६ सितम्बर को सीबीआई और रिजर्व बैंक के दिल्ली से आए अधिकारी तत्सम्बन्धी सभी फाइलों सहित उपरोक्त दोनों अधिकारीयों के नमूना हस्ताक्षर, बयान और साथ ही ऍफ़ऐ एंड सीऐओ श्री विजेंद्र कुमार के भी बयान ले गए हैं।
बताया जाता है की डुप्लीकेट चेक में भाषा सम्बन्धी कई गलतियाँ हैं, जैसे Axis Bank को exis bank लिखा गया है।
इसके अलावा ये माइकर चेक रेलवे को रिजर्व बैंक द्वारा सप्लाई किए जाते हैं और बिना रिजर्व बैंक के कर्मचारियों की मिलीभगत के ऐसे चेक बाहर या सिक्योरिटी प्रेस में प्रिंट कर पाना बिल्कुल असंभव है। ऐसा हमारे सूत्रों का कहना है। सूत्रों का कहना है की जो कवरिंग लेटर बनाया गया है वैसा लेटर रेलवे द्वारा कभी जारी ही नहीं किया जाता है।
बहारहाल इस फोर्जरी की घटना से पूर्वोत्तर रेलवे में एक बार फ़िर हड़कंप मचा हुआ है.

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