एम्एस, ऐएम्/एस और चेयरमैन/आरआरबी की
पोस्टों पर सिर्फ़ आईआरपीएस की ही पोस्टिंग हो
रेलवे बोर्ड की अंदरूनी राजनीती से नैन मिल पाता कईयों को उनका हक
रेलवे में वर्ष १९८५ से शुरू हुई इंडियन रेलवे पर्सनल सर्विस (आईआरपीएस) के अधिकारी अब तक के सबसे दबे - कुचले रेल अफसर बन कर रह गए हैं। इन्हें न तो प्रिंसिपल सीपीओ, आरआरबी चेयरमैन, मेंबर स्टाफ, एडिशनल मेंबर स्टाफ की पोस्टें, जो इनके हक़ की हैं, दी जा सकी हैं और न ही अब तक ऐडीआरएम्, डीआरएम् और जीएम् आदि पोस्टों को इनके लिए इयरमार्क किया जा सका है। ऐसा न हो पाने के कारण इस कादर के अधिकारियों को ऊपर की पोस्टों के लायक ही माना जा रहा है। जिससे यह अधिकारी बुरी तरह हीनभावना का शिकार हो रहे हैं। इसके परिणाम स्वरुप रेलवे पर अदालती मामलों की भरमार हो रही है और जो मामले डिपो, ब्रांच, मंडल या मुख्यालय तक ही हो जाने चाहिए ऐसे सामान्य मामले में भी रेल कर्मचारियों और अधिकारियों को न्याय पाने के लिए अदालत का सहारा लेना पड़ रहा है।
niyam के अनुसार डीआरएम् के लिए दो प्रतिशत पोस्टें आईआरपीएस के लिए भी इयरमार्क होनी चाहिए मगर रेलवे बोर्ड ऐसा जानबूझकर नहीं कर रहा है, यह कहना है कई आईआरपीएस अधिकारियों का। उनका कहना था की कई आईआरपीएस इस बार योग्यता में थे फ़िर भी उन्हें मौका नहीं दिया गया।
आईआरपीएस अधिकारियों का कहना है की जब तक Zonal PHOD, चेयरमैन/आरआरबीऔर एम्एस, ऐएम्/एस की पोस्टों पर आईआरपीएस अधिकारियों को नहीं पोस्ट किया जाएगा तब तक रेलवे में कार्मिक मामलों की विसंगतियां दूर नहीं होंगी, उनका कहना था की उन्हें ऐडीआरएम्, डीआरएम् और जीएम् नहीं बनाये जाने से बोर्ड मेंबर की पोस्टें नहीं मिल पाती है, इसके अलावा कुछ कादर विशेष के अधिकारी पर्सनल की महत्वापूर्ण पोस्टों को छोड़ना नहीं चाहते हैं।
हालाँकि कुछ आईआरपीएस अधिकारियों का यह भी कहना था की कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है। उनका तात्पर्य यह था की कादर एडजस्टमेंट और मन पसंद पोस्टिंग का मोह आई आर पी एस अधिकारियों को छोड़ना पड़ेगा।
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