यहाँ ध्वजारोहण के तत्काल बाद लिए गए फोटो में राष्ट्रध्वज को गलत तरीके से लहराते स्पष्ट देखा जा सकता है। फ़हराने के बाद अपना जूता बांधते ( नीचे झुके ) हुए प्राचार्य जी. एस. पाठक और सामने खड़े तथाकथित पीटीए के उपाध्यक्ष मुकेश भासने और सीआरएमएस के पूर्व कार्याध्यक्ष श्री जे वी एस शिशौदिया तथा उदघोषणा करते अन्य अध्यापक गण.
रेलवे स्कूल कल्याण में उल्टा
फहराया गया राष्ट्रध्वज
नशेड़ी जैसी हालत में प्राचार्य को राष्ट्रध्वज
की गरिमा का तनिक भी नहीं रहा ख्याल ...
तथाकथित पीटीए के उपाध्यक्ष
मुकेश भासने ने उल्टा किया तिरंगा...?
तिरंगे को ध्वजारोहण के लिए किसने तैयार किया था यह तो पता नहीं, मगर वहां उपस्थित लोग बताते हैं कि जब 8 बजे प्राचार्य ध्वजारोहण स्थल पर आये तब आगे लपक कर मुकेश भासने ने यह कहते हुए , कि इसमें अभी फूल डालने हैं, पहले से लिपटे हुए तिरंगे को खोल डाला और उसमें फूल डालकर फिर लपेट दिया. उपस्थित लोगों का कहना है कि इसी में तिरंगा उल्टा हुआ, जिस पर नसेड़ी जैसी हालत में लहरा रहे प्राचार्य ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसी वजह से यह इतनी बड़ी गलती हुई और राष्ट्रीय पहचान एवं स्वाभिमान के प्रतीक राष्ट्र ध्वज का अक्षम्य अपमान हुआ है, जिसके लिए सिर्फ प्राचार्य ही दोषी हैं।
जबकि प्राचार्य ने अपनी यह भयानक भूल छिपाने के लिए दो निर्दोष अध्यापकों को यह कहते हुए, कि महाप्रबंधक का आदेश है, दूसरे दिन निलंबित कर दिया । हालाँकि प्रशासन और खास तौर पर मुख्य कार्मिक अधिकारी / औद्योगिक सम्बन्ध डा.ए.के.सिन्हा ने प्राचार्य के इस अन्याय पर तत्काल संज्ञान लिया और दोनों अध्यापकों का निलंबन वापस करते हुए संपूर्ण मामले की जाँच के आदेश दिए हैं।
तथापि बताते हैं कि प्राचार्य ने इस मामले को दो यूनियनों की राजनीति का रंग देकर उलझाने और प्रशासन को गुमराह करने की पूरी कोशिश की है। जबकि प्राचार्य के सभी धंधों में बराबर के भागीदार कल्याण निरीक्षक जगदाले और डीपीओ काम्बले, जो कि ध्वजारोहण समारोह में प्रशासन के प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित थे, ने करीब 20-25 फर्जी फोटोग्राफ दिखाकर वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी श्री राकेश कुमार और रेल प्रशासन को गुमराह करने की पूरी कोशिश की थी।
सभी अभिभावकों और स्कूल के अधिकाँश अध्यापकों का कहना है कि जगदाले को न सिर्फ मंडल से हटाया जाए बल्कि उन्हें अविलम्ब इस स्कूल से सम्बंधित सभी गतिविधियों से सर्वथा अलग किया जाना चाहिए। यही नहीं उनका कहना है कि प्रशासन को गुमराह करने और प्रमाणिक रूप से प्राचार्य की सभी भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल रहने के लिए जगदाले को तुरंत निलंबित भी किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय ध्वज के इस घोर अपमान के खिलाफ स्कूल के पूर्व छात्र कमलेश जायसवाल ने कल्याण के महात्मा फुले पुलिस थाने में तत्काल एक ऍफ़आईआर दर्ज करवाई है, जिसमें कहा गया है कि प्राचार्य ने न सिर्फ राष्ट्र ध्वज का भारी अपमान किया है बल्कि आरोहण करते समय वह ऊपर जाते तिरंगे की ओर देखने के बजाय मुर्दनी सी सूरत लिए नीचे जमीन की तरफ देख रहे थे।
जायसवाल ने कहा है कि एक वरिष्ठ अध्यापक द्वारा तिरंगे को गलत तरह से फहराए जाने की बात संज्ञान में लाए जाने के बाद भी प्राचार्य ने न तो वहां उपस्थित गणमान्य लोगों से क्षमा याचना की और न ही उन्होंने तिरंगे को सम्मान के साथ नीचे उतार कर और सीधा करके पुनः फहराने की जरुरत समझी, बल्कि उन्होंने तिरंगे को लगभग घसीट कर नीचे उतारा और वैसे ही मामूली कपड़े की तरह लपेटकर एक छात्र को पकड़ा दिया। जबकि इस दरम्यान उन्होंने बाकी सारी गतिविधियाँ भी जारी रखी थीं।
जायसवाल ने कहा है कि प्राचार्य को न तो राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और न ही इसकी आचार संहिता के बारे में कोई जानकारी है। इसलिए प्राचार्य ने राष्ट्रीय स्वाभिमान और अति सम्माननीय राष्ट्रीय प्रतीक का घोर तिरस्कार एवं अपमान किया है, अतः उनके खिलाफ निर्धारित कानून के तहत कारवाई की जानी चाहिए।
अब देखना यह है कि रेल प्रशासन शिक्षा और अध्ययन - अध्यापन के नाम पर सर्वज्ञात इस घोर कलंक यानी प्राचार्य के खिलाफ क्या अब भी विभागीय कार्रवाई करने से हिचकिचाता है या इसे जबरन रिटायर करके घर भेजने की तैयारी करता है? क्योंकि करीब एक साल से विजिलेंस ने भी इसके खिलाफ न तो कोई कार्रवाई की है और न ही कोई एडवाइस दी है. जबकि ऐसे संवेदनशील मामलों में विजिलेंस द्वारा सबसे पहले सम्बंधित अधिकारी को उसके पद से तत्काल हटाये जाने की सिफारिश की जाती है.
की गरिमा का तनिक भी नहीं रहा ख्याल ...
तथाकथित पीटीए के उपाध्यक्ष
मुकेश भासने ने उल्टा किया तिरंगा...?
तिरंगे को ध्वजारोहण के लिए किसने तैयार किया था यह तो पता नहीं, मगर वहां उपस्थित लोग बताते हैं कि जब 8 बजे प्राचार्य ध्वजारोहण स्थल पर आये तब आगे लपक कर मुकेश भासने ने यह कहते हुए , कि इसमें अभी फूल डालने हैं, पहले से लिपटे हुए तिरंगे को खोल डाला और उसमें फूल डालकर फिर लपेट दिया. उपस्थित लोगों का कहना है कि इसी में तिरंगा उल्टा हुआ, जिस पर नसेड़ी जैसी हालत में लहरा रहे प्राचार्य ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसी वजह से यह इतनी बड़ी गलती हुई और राष्ट्रीय पहचान एवं स्वाभिमान के प्रतीक राष्ट्र ध्वज का अक्षम्य अपमान हुआ है, जिसके लिए सिर्फ प्राचार्य ही दोषी हैं।
जबकि प्राचार्य ने अपनी यह भयानक भूल छिपाने के लिए दो निर्दोष अध्यापकों को यह कहते हुए, कि महाप्रबंधक का आदेश है, दूसरे दिन निलंबित कर दिया । हालाँकि प्रशासन और खास तौर पर मुख्य कार्मिक अधिकारी / औद्योगिक सम्बन्ध डा.ए.के.सिन्हा ने प्राचार्य के इस अन्याय पर तत्काल संज्ञान लिया और दोनों अध्यापकों का निलंबन वापस करते हुए संपूर्ण मामले की जाँच के आदेश दिए हैं।
तथापि बताते हैं कि प्राचार्य ने इस मामले को दो यूनियनों की राजनीति का रंग देकर उलझाने और प्रशासन को गुमराह करने की पूरी कोशिश की है। जबकि प्राचार्य के सभी धंधों में बराबर के भागीदार कल्याण निरीक्षक जगदाले और डीपीओ काम्बले, जो कि ध्वजारोहण समारोह में प्रशासन के प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित थे, ने करीब 20-25 फर्जी फोटोग्राफ दिखाकर वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी श्री राकेश कुमार और रेल प्रशासन को गुमराह करने की पूरी कोशिश की थी।
सभी अभिभावकों और स्कूल के अधिकाँश अध्यापकों का कहना है कि जगदाले को न सिर्फ मंडल से हटाया जाए बल्कि उन्हें अविलम्ब इस स्कूल से सम्बंधित सभी गतिविधियों से सर्वथा अलग किया जाना चाहिए। यही नहीं उनका कहना है कि प्रशासन को गुमराह करने और प्रमाणिक रूप से प्राचार्य की सभी भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल रहने के लिए जगदाले को तुरंत निलंबित भी किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय ध्वज के इस घोर अपमान के खिलाफ स्कूल के पूर्व छात्र कमलेश जायसवाल ने कल्याण के महात्मा फुले पुलिस थाने में तत्काल एक ऍफ़आईआर दर्ज करवाई है, जिसमें कहा गया है कि प्राचार्य ने न सिर्फ राष्ट्र ध्वज का भारी अपमान किया है बल्कि आरोहण करते समय वह ऊपर जाते तिरंगे की ओर देखने के बजाय मुर्दनी सी सूरत लिए नीचे जमीन की तरफ देख रहे थे।
जायसवाल ने कहा है कि एक वरिष्ठ अध्यापक द्वारा तिरंगे को गलत तरह से फहराए जाने की बात संज्ञान में लाए जाने के बाद भी प्राचार्य ने न तो वहां उपस्थित गणमान्य लोगों से क्षमा याचना की और न ही उन्होंने तिरंगे को सम्मान के साथ नीचे उतार कर और सीधा करके पुनः फहराने की जरुरत समझी, बल्कि उन्होंने तिरंगे को लगभग घसीट कर नीचे उतारा और वैसे ही मामूली कपड़े की तरह लपेटकर एक छात्र को पकड़ा दिया। जबकि इस दरम्यान उन्होंने बाकी सारी गतिविधियाँ भी जारी रखी थीं।
जायसवाल ने कहा है कि प्राचार्य को न तो राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और न ही इसकी आचार संहिता के बारे में कोई जानकारी है। इसलिए प्राचार्य ने राष्ट्रीय स्वाभिमान और अति सम्माननीय राष्ट्रीय प्रतीक का घोर तिरस्कार एवं अपमान किया है, अतः उनके खिलाफ निर्धारित कानून के तहत कारवाई की जानी चाहिए।
अब देखना यह है कि रेल प्रशासन शिक्षा और अध्ययन - अध्यापन के नाम पर सर्वज्ञात इस घोर कलंक यानी प्राचार्य के खिलाफ क्या अब भी विभागीय कार्रवाई करने से हिचकिचाता है या इसे जबरन रिटायर करके घर भेजने की तैयारी करता है? क्योंकि करीब एक साल से विजिलेंस ने भी इसके खिलाफ न तो कोई कार्रवाई की है और न ही कोई एडवाइस दी है. जबकि ऐसे संवेदनशील मामलों में विजिलेंस द्वारा सबसे पहले सम्बंधित अधिकारी को उसके पद से तत्काल हटाये जाने की सिफारिश की जाती है.