Thursday, 30 June 2011

विनय मित्तल बने सीआरबी 

आखिर सब कयासों को धता बताते हुए विनय मित्तल सीआरबी बन गए. इससे पिछले हफ्ते 'रेलवे समाचार' द्वारा व्यक्त की गई विवेक सहाय की 'बिरादरी नीति' का आधा हिस्सा पूरा हो गया है. बाकी आधा हिस्सा, वह यह कि एमटी की पोस्ट 'बिरादरी' के बाहर नहीं जाएगी, भी एक-दो दिन में पूरा हो जाने की पूरी संभावना है. श्री मित्तल के सीआरबी बन जाने से अब के. के. श्रीवास्तव के मेम्बर टैफिक (एमटी) बनने का रास्ता साफ़ हो गया है. हालांकि एमटी की पोस्ट पर कुलदीप चतुर्वेदी ने भी यह कहते हुए दावा किया है की 1 मई 2010 को खाली हुई इस पोस्ट पर उनका हक़ मारा गया था, जबकि के. के. सक्सेना ने यह कहकर दावा किया है कि उन्हें उत्पादन इकाई में पदस्थ किए जाने में उनकी कोई गलती नहीं है. 

श्री मित्तल के सीआरबी बन जाने से एक बात और साबित हो गई है कि ए. पी. मिश्रा - विवेक सहाय के 'काईयांपन' को नहीं समझ पाए. जबकि वह उनके सहयोग से सीआरबी बन जाने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त थे. तथापि सहाय ने उनके विश्वास को धता बताते हुए उन्हें राजीव भार्गव के केस के साथ लिंक करके उनके सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया. यही नहीं बताते हैं कि सहाय ने तो उनकी एक सीआर भी ख़राब कर दी है. इसके अलावा सहाय ने अपनी इस तिकड़म से इंजीनियरिंग कैडर को भी निराश किया है. 

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